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Fake News Case: नफरती ट्वीट करने वाले BJP नेता प्रशांत उमराव को Supreme Court की दो टूक, माफी मांगिए

Supreme Court ने बीजेपी नेता को ट्रांजिट अग्रिम जमानत देते हुए कई शख्त शर्ते जोड़ी है. अदालत ने भाजपा नेता को हर समय अपना मोबाइल नंबर चालू रखने और तमिलनाडु पुलिस को अपनी लाइव गूगल लोकेशन भेजने का आदेश दिया है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 7, 2023 3:43 AM IST

नई दिल्ली:तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर हमलों के बारे में झूठी सूचना फैलाने और ट्वीट करने के मामले में भाजपा नेता प्रशांत कुमार उमराव को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए माफी मांगने को कहा है.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ अधिवक्ता और भाजपा उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता उमराव पर दायर मुकममों के मामले में दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

प्रशांत कुमार उमराव ने इन याचिकाओं में मद्रास हाई कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत देते समय लगाई गई शर्त में संशोधन करने का अनुरोध किया है वही दूसरी याचिका में उनके ट्वीट को लेकर विभिन्न पुलिस थानों में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की लगाई गई शर्त को संशोधित किया. इसमें कहा गया था कि उमराव 15 दिनों की अवधि के लिए रोजाना 10.30 बजे और शाम 5.30 बजे पुलिस के सामने पेश होंगे और इसके बाद भी पूछताछ के लिए जरूरत पड़ने पर उन्हें पेश होना पड़ेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत उमराव को आगामी 10 अप्रैल को मामले के जांच अधिकारी के सामने पेश होंने के भी आदेश दिए है.

हर समय चालू रखें मोबाइल

सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता को ट्रांजिट अग्रिम जमानत देते हुए कई शख्त शर्ते जोड़ी है.

अदालत ने भाजपा नेता को हर समय अपना मोबाइल नंबर चालू रखने और तमिलनाडु पुलिस को अपनी लाइव गूगल लोकेशन भेजने का आदेश दिया है.

इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्त को संशोधित करते हुए प्रशांत उमराव को 15 दिनों तक रोजाना सुबह 10.30 बजे और शाम 5: 30 बजे पुलिस के सामने पेश होने के आदेश दिए है. साथ ही पूछताछ के लिए जरूरत पड़ने पर उन्हें पुलिस के समक्ष पेश होना होगा.

अगली तारीख से पहले मांगे माफी

भाजपा नेता को मद्रास हाईकोर्ट ने राहत देने से इंकार किया था. 21 मार्च के आदेश में हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने अपने ट्विटर पेज पर झूठी सामग्री अपलोड की थी, जिसमें दावा किया गया था कि बिहार के 15 निवासियों को तमिलनाडु के एक कमरे में कथित तौर पर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था क्योंकि वे हिंदी में बोल रहे थे और उनमें से 12 की मौत हो गई है.

उमराव के अधिवक्ता ने अदातल के समक्ष तर्क दिया कि कथित ट्वीट मूल रूप से निजी समाचार चैनलों में प्रदर्शित किया गया था और उन्होंने इसे केवल री-ट्वीट किया था.

सुनवाई के दौरान अदातल ने अधिवक्ता से पूछा कि वह कितने समय से बार के सदस्य है.यह बताए जाने पर की वह 7 साल से बार के सदस्य हैं.

पीठ ने हैरानी जताते हुए भाजपा नेता को चेताते हुए कहा कि तब तो उन्हें अधिक जिम्मेदार होना चाहिए.

पीठ ने उमराव के अधिवक्ता से कहा कि ‘अगली तारीख से पहले, आपको माफी मांगनी चाहिए’

दर्ज हैं एफआईआर

गौरतलब है कि भाजपा नेता द्वारा किए गए ट्वीट में तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमलों के दावे संबंधी कथित झूठी सूचना के बाद तमिलनाडु में उनके खिलाफ झुठी खबर फैलाने सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था.

मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देते हुए कई सख्त शर्ते जोड़ी थी.