नई दिल्ली: मुंबई की एक जिला अदालत ने गुरुवार को वीडियोकॉन लोन मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी Chanda Kochhar और उनके बिजनेसमैन पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत को 10 जनवरी, 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
ICICI-Videocon loan case के मामले में सीबीआई ने हाल ही में इन तीनों को गिरफ्तार किया था.कोचर को CBI ने पिछले शुक्रवार 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया था जबकि धूत को सोमवार 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया था. अदालत द्वारा इन तीनों से पूछताछ के लिए दी गयी पुलिस कस्टडी की अवधि गुरुवार को समाप्त हो रही थी.
गुरुवार को पुलिस कस्टडी की अवधि समाप्त होने पर इन तीनों को मुंबई के विशेष न्यायाधीश एस एच ग्वालानी के समक्ष पेश किया गया.सीबीआई ने इस मामले में आज अदालत के समक्ष पुलिस कस्टडी को आगे बढ़ाने की मांग करने की बजाए तीनों को न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध किया. जिसके बाद अदालत ने तीनों आरोपियों को 10 जनवरी, 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
चंदा कोचर को 23 दिसंबर को नई दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था और 24 दिसंबर को मुंबई में एक विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया था. जिसके बाद से ही लगातार उन्हे सीबीआई की हिरासत में रखा गया था.
गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट चंदा कोचर और उनके पति को राहत नहीं मिली थी. दोनों ने सीबीआई द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार देते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस माधव जे जामदार और जस्टिस एस जी चपलगांवकर की अवकाशकालीन पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने शीतकालीन अवकाश के बाद 2 जनवरी से शुरू होने वाली नियमित अदालत के समक्ष अपनी याचिका के लिए सुनवाई का अनुरोध करने की छूट दी है.
वर्ष 2009 में चंदा कोचर को ICICI बैंक की एमडी और सीईओ बनाया गया था. सीईओ बनने को दो साल बाद उन्हे वर्ष 2011 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की सीईओ बनने के बाद चंदा कोचर ने अनियमित तरीके से वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत की कंपनियों के लिए लोन मंजूर कराए.
चंदा कोचर ने वीडियोकॉन को करीब 3250 करोड़ रुपये का लोन जारी किया गया था. जबकि धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को उनके बिजनेस में फायदा पहुंचाया था.
कोचर ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन समूह के साथ जुड़ी चार अन्य कंपनियों को जून, 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच 1,875 करोड़ रुपये के 6 लोन को मंजूरी देने में कथित अनियमितता बरती.
ICICI बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप दोनों के निवेशक अरविंद गुप्ता ने पहली बार इस मामले में 2016 में शिकायत की. गुप्ता ने इस मामले में प्रधानमंत्री, आरबीआई और कई दूसरी अथॉरिटी को भी जांच की मांग करते हुए शिकायत भेजी.लेकिन इन शिकायतों को तवज्जो नहीं दी गयी.
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब 2018 में एक व्हिसल ब्लोअर बैंक के शीर्ष मैनेजमेंट के खिलाफ सबूतों के साथ शिकायत की.बढ़ते दबाव के चलते ICICI बैंक ने इस मामले में जांच शुरू की,सेबी ने भी कोचर को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. बढते विवाद और जांच के दायरें के चलते चंदा कोचर ने अपने पद से जल्दी रिटायर होने का आवेदन किया. बैंक ने इस बात को 4 अक्टूबर 2018 को मंजूरी दे दी.
अब तक इस मामले में सीबीआई की एंट्री हो चुकी थी. 22 जनवरी, 2019 को सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर, और वेणुगोपाल धूत और उनकी कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक एफआईआर दर्ज की थी. ईडी ने चंदा और उनके पति से जुड़ी 78.15 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां भी कुर्क की. इसके बाद इस मामले में दूसरी एफआईआर दर्ज की गयी
CBI का आरोप है कि वीडियोकॉन समूह को दिए इस लोन को एक समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी शामिल थीं. एजेंसी का कहना है कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और वीडियोकॉन को लोन मंजूर करने के लिए वेणुगोपाल धूत से अपने पति के माध्यम से अनुचित लाभ प्राप्त किया.
पहली एफआईआर दर्ज होने के करीब चार साल बाद CBI ने 23 दिसंबर को चंदा कोचर और उनके पति को गिरफ्तार किया.