नई दिल्ली: चुनाव आयुक्त अरुण गोयल (Election Commissioner Arun Goyal) की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट आज इस याचिका पर सुनवाई करेगा.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में देश के चुनाव आयुक्त के रूप में गोयल की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई है.
चुनाव आयुक्त के पद पर अरूण गोयल की नियुक्ति को सरकार का मनमाना फैसला बताते हुए संस्थागत अखंडता और भारत के चुनाव आयोग की स्वतंत्रता का उल्लंघन और समानता के अधिकार का उल्लघंन बताया गया है.
1985 के पंजाब कैडर के सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अरुण गोयल को 19 नवंबर, 2022 को भारत के चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था.
अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि Election Commissioner Arun Goyal की नियुक्ति कानून के मुताबिक सही नहीं है. साथ ही निर्वाचन आयोग की सांस्थानिक स्वायत्तता का भी उल्लंघन है.
याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 324(2) के साथ साथ निर्वाचन आयोग (आयुक्तों की कार्यप्रणाली और कार्यकारी शक्तियां) एक्ट 1991 का भी उल्लंघन है.
याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार ने गोयल की नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा था कि चूंकि वह तैयार किए गए पैनल में चार व्यक्तियों में सबसे कम उम्र के थे, इसलिए चुनाव आयोग में उनका कार्यकाल सबसे लंबा होगा.
याचिका में तर्क दिया गया है कि उम्र के आधार पर गोयल की नियुक्ति को सही ठहराने के लिए जानबूझकर एक दोषपूर्ण पैनल बनाया गया था. इसके अलावा, 160 अधिकारी ऐसे थे जो 1985 बैच के थे और उनमें से कुछ गोयल से छोटे थे. हालांकि, इस बारे में कोई स्पष्टीकरण दिए बिना कि जो अधिकारी गोयल से उम्र में छोटे थे और जिनका पूरा कार्यकाल छह साल का होगा. सरकार ने गोयल को नियुक्त किया.
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने केवल इस वजह से गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है क्योंकि वो ‘यस मैन’ हैं, इसके अलावा उनके पास ऐसी कोई योग्यता नहीं है जो दूसरे अफसरों के पास नहीं है.