Advertisement

अदालतों के नजरिए से लेकर कानून तक— निर्भया केस के बाद बहुत कुछ बदला है 10 सालों

दुष्कर्म के बढे केसो के पीछे मुख्य कारण बदलता परिवेश और जनता के बीच जागरूकता सबसे बड़ा कारण है.दुष्कर्म के मामलो में सख्त प्रावधानों ने अपराधियों के बीच एक डर पैदा किया है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : December 16, 2022 5:11 AM IST

नई दिल्ली: देश और दुनिया को हिला देने वाले निर्भया कांड को आज 10 साल बीत गए है. 16 दिसंबर 2012 का वह दिन जब देश की राजधानी में सामने आए इस अमानवीय और क्रूर घटनाक्रम ने बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक के दिलों सिहरन बैठ गयी थी.

आम नागरिकों के बीच दुष्कर्म जैसे मामलों के प्रति आक्रोश बढ़ा और सामूहिक रूप से देशभर में दुष्कर्म और नाबालिगों से जुड़े कानून को सख्त करने की आवाज उठी. जनता की आवाज ने राजनीतिक दलों पर दबाव बढ़ाया जिसके परिणाम में देश के कई कानूनों में बदलाव आया.

आम जनता के बीच बहस और चर्चा ने दुष्कर्म जैसे मामलों पर चुप्पी को तोड़ दिया. इसके नतीजा साफ दिखने लगा जब देशभर में अचानक से दुष्कर्म से जुड़े केसों की बाढ़ आ गयी.

दुष्कर्म के बढे केसो के पीछे मुख्य कारण बदलता परिवेश और जनता के बीच जागरूकता सबसे बड़ा कारण है. पुरूषवादी सोच के कुछ लोग इस सकारात्मक कारण को भी नकारात्मक रूप में पेश करते है, उनके अनुसार दुष्कर्म के केसो में सख्त सजा होने से दुरुपयोग के मामले बढे है.

निर्भया के बाद कानून में जो बदला

निर्भया कांड के बाद देश में दुष्कर्म की परिभाषा तक बदल गयी.पहले सिर्फ सेक्सुअल पेनिट्रेशन (Sexual Penetration) को ही रेप माना जाता था. लेकिन इस कांड के बाद गलत तरीके से छेड़छाड़ और अन्य तरीके के यौन शोषण को भी रेप की धाराओं में शामिल किया गया.

निर्भया कांड के बाद ही दुष्कर्म के गंभीर मामलो की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए होने लगी है. इसमें फैसला आने में अपेक्षाकृत कम समय लगने लगा.

निर्भया कांड के चलते ही IPC की धारा 181 और 182 में बदलाव करते हुए दुष्कर्म से जुड़े नियमों को बेहद सख्त करते हुए फांसी तक का प्रावधान किया गया.

निर्भया कांड के बाद ही 22 दिसंबर 2015 में राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पास किया गया. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में  बड़ा बदलाव करते हुए 16 साल या उससे अधिक उम्र के किशोर को गंभीर अपराध में एक व्यस्क मानकर मुकदमा चलाने का प्रावधान किया गया.

2018 में संशोधन अध्यादेश के जरिए पॉक्सो एक्ट में संशोधन किया गया. जिसके अंतर्गत 12 साल से कम उम्र की बच्ची से दुष्कर्म के मामले पर फांसी की सजा का प्रावधान किया गया.

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का बदलाव

निर्भया कांड के बाद सरकार ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए जघन्य अपराध के लिए नाबालिग को भी व्यस्क माना जाने लगा. 22 दिसंबर 2015 को राज्यसभा में संशोधित जुवेनाइल जस्टिस बिल पास किया गया. जिसमें यह प्रावधान किया गया कि 16 साल या उससे अधिक उम्र के किशोर को जघन्य अपराध करने पर एक वयस्क मानकर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और व्यस्क के तौर पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाया जाएगा.

जुवेनाईटल को व्यस्क मानकर सजा का प्रावधान किए जाने से अब उन अपराधियों के बचने का एक बड़ा रास्ता बंद कर दिया गया.

जस्टिस वर्मा कमेटी का योगदान

निर्भया कांड के बाद देश में दुष्कर्म से जुड़े कानूनों में सख्त बदलाव की मांग उठी. सरकार पर बढ़ते दबाव के चलते जेएस वर्मा की अगुआई में कमेटी का गठन किया गया. जेएस वर्मा कमेटी ने सिर्फ 29 दिनों में ही जनवरी, 2013 को देश के कानून में बड़े बदलाव की सिफारिश के साथ 631 पन्नों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी.

16 दिसंबर 2012 को निर्भया काण्ड हुआ था. दिसंबर 2012 के अंतिम सप्ताह में जेएस वर्मा कमेटी का गठन किया गया था इस देश के इतिहास में यह भी एक रिकॉर्ड ही था कि 29 दिन में एक कमेटी ने रिपोर्ट सौप दी. रिपोर्ट सौंपने के मात्र तीन माह में अप्रैल 2013 में कानून भी बन गया.

नया एंटी रेप लॉ

निर्भया कांड के चलते बने दबाव के कारण ही सरकार ने आनन फानन में IPC की धाराओं में बड़ बदलाव करते हुए दुष्कर्म से जुड़े मामलों में फांसी तक का प्रावधान किया.

वर्मा कमीशन की सिफारिश के बाद सरकार ने पहले र्डिनेंस जारी किया और उसके संसद में बिल पास कर 2 अप्रैल 2013 को नोटिफिकेशन जारी कर दिया. नए एंटी रेप लॉ में  रेप और छेड़छाड़ के मामले में जो कानूनी प्रावधान है, उसके तहत रेप के कारण अगर कोई महिला मरणासन्न अवस्था में पहुंच जाती है या फिर मौत हो जाती है, तो उस स्थिति में दोषियों को फांसी तक की सजा हो सकती है.

IPC की धारा-375 — इस धारा के अनुसार अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरन शारीरिक संबंध बनाता है, तो वह रेप दुष्कर्म का मामला होगा. किसी महिला के साथ किया गया यौनाचार या दुराचार दोनों ही रेप के दायरे में आएंगे. इसके अलावा महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में अगर पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट डालता है, तो वह भी रेप के दायरे में होगा। इतना ही नहीं महिला के प्राइवेट पार्ट में अगर पुरुष कोई भी सब्जेक्ट डालता है, तो वह भी रेप के लिए दोषी होगा.

IPC की धारा-376 — इस धारा के अनुसार महिला की उम्र अगर 18 साल से कम है और उसकी सहमति भी है, तो भी उसके साथ किया गया सहवास भी रेप होगा.

इस धारा में रेप मामले में 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके तहत कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया.

IPC की धारा-376 ए— इस धारा के अगर रेप के कारण महिला विजिटेटिव स्टेज (मरने जैसी स्थिति) में चली जाए, तो दोषी को अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है.

IPC की धारा-376 डी — इस धारा के तहत गैंगरेप के लिए सजा का प्रावधान किया गया, गैंगरेप में शामिल होने पर दोषी को कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक जीवन के उम्रभर के लिए जेल में रहने (नेचुरल लाइफ तक के लिए जेल) की सजा का प्रावधान किया गया है.

IPC की धारा-376 ई— कोई अपराधी जो पहले भी दुष्कर्म का दोषी रहा है उसके द्वारा दोबारा दोषी होने पर इस धारा के तहत उसे फांसी की सजा का प्रावधान किया गया कि अगर कोई शख्स रेप के लिए पहले दोषी करार दिया गया हो और वह दोबारा अगर रेप या गैंगरेप के लिए दोषी पाया जाता है, तो उसे उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा होगी.

IPC की धारा 354— इस धारा को अधिक सख्त बनाते हुए किसी महिला, लड़की के साथ छेड़छाड़ करने पर इस धारा के तहत कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल तक की जेल की सजा तक हो सकती है. छेड़छाड़ को गैर-जमानती अपराध माना गया है. एंटी रेप लॉ में धारा-354 के कई सब सेक्शन बनाए गए हैं.

IPC की धारा 354 ए— इस धारा के अनुसार अगर कोई शख्स किसी महिला को अशोभनीय और सेक्सुअल नेचर का कंडक्ट करता है, तो उस मामले में आईपीसी की धारा-354 ए पार्ट-1 के तहत केस दर्ज किया जाएगा। कोई शख्स महिला से सेक्सुअल डिमांड या फिर आग्रह करता है, तो उस मामले में आईपीसी की धारा-354 ए पार्ट-2 के तहत केस दर्ज किया जाएगा. वहीं कोई शख्स किसी महिला को उसकी मर्जी के खिलाफ पोर्नोग्राफी दिखाता है, तो ऐसे मामले में आईपीसी की धारा-354 ए पार्ट-3 के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है.

IPC की धारा 354 बी— कोई अपराधी किसी महिला पर अगर आपराधिक बल प्रयोग करता है और उसे कपड़े उतारने पर मजबूर करता है या कपड़े उतारता है या फिर इसके लिए किसी और को उकसाता है, तो ऐसे मामले में इस धारा के तहत उसे 3 से 7 साल तक जेल की सजा होगी. इस मामले में उसकी जमानत नहीं होगी.

IPC की धारा 354 डी— कोई व्यक्ति अगर किसी महिला का पीछा करता है या फिर उससे कांटेक्ट करने की कोशिश करता है और यह सब महिला की मर्जी के खिलाफ किया जाता है, तो इसे स्टॉकिंग माना जाएगा। ऐसे मामले में इस धारा के तहत उसे 3 साल तक की जेल होगी

पॉक्सो कानून ने बदली दशा

16 दिसम्बर 2012 की रात को निर्भया कांड के महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए दुष्कर्म निरोधक कानून में सख्त संशोधन किये गए. प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस 14 नवंबर, 2012 से लागू हुआ था, लेकिन इस

कानून को सख्ती से लागू करने के लिए निर्भया कांड एक अहम तंत्र बन गया. यह कानून 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हर तरह के यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया.इसमें बच्चों के साथ होने वाले अपराध के लिए उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान किया गया.

पोक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट में होती है जो एक वर्ष के भीतर मामले का निपटारा करती हैं.

इस एक्ट के तहत बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है. इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.

इस एक्ट में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को गलत तरीके से स्पर्श करने पर सजा का प्रावधान किया गया.

एक्ट में मामले की रिपोर्टिंग, सबूतों की रिकॉर्डिंग, जांच एवं सुनवाई जैसी तमाम न्यायिक प्रक्रिया को बच्चों के अनुकूल बनाया गया है ।

पोक्सो एक्ट अन्य कानूनों से अलग हैं, इसमें पीड़िता के बयान को बेहद अहम सबूत माना गया हैं. पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपी को सजा का प्रावधान हैं. आरोपी को ही साबित करना होगा कि उसने पीड़िता के साथ गलत व्यवहार नहीं किया है, इसमें आरोपी को जमानत पाने का अधिकार आसान नहीं हैं.

बदलाव का प्रभाव

पॉक्सो जैसे एक्ट के चलते दुष्कर्म के मामलो में शुरुआती प्रभाव बेहद सकारात्मक नज़र आए. राजस्थान में हुए आसाराम के मामले ने इस एक्ट को लेकर देश में जागरूकता फैलाने का भी काम किया. चर्चित संत रहे आसाराम पर अगस्त 2013 में एक नाबालिग लड़की का आश्रम में रेप करने का आरोप लगा था. इस मामले में जोधपुर की अदालत ने आजीवन उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

2018 - 10 जनवरी 2018 को जम्मू के शहर कठुआ में एक 8 साल की बच्ची को किडनैप कर 6 दिन तक  एक अंधेरे कमरे में बंद रखा गया. मंदिर का पुजारी ही इस घटना का मास्टरमाइंड था। उसके साथ 4 लोगों ने बच्ची को नशे की गोलियां देकर 6 दिन तक रेप किया था। इसके बाद बच्ची का गला दबाकर जान से मार डाला। पत्थर से उसके सिर पर वार किए और लाश को जंगल में फेक दिया था। इस घटना ने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया था। बाद में 12 साल से कम उम्र की बच्ची का बलात्कार करने पर रेपिस्ट के लिए फांसी की सजा का प्रावधान शामिल किया गया।

2021 - 1 अगस्त 2021 को दिल्ली कैंट इलाके में 9 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने का मामला सामने आया था. बच्ची शाम के वक्त श्मशान में लगे वॉटर कूलर से पानी भरने गई थी, जहां  चार लोगों ने नन्हीं-सी जान की आबरू को नोंचा और उसे दर्दनाक मौत देकर इंसानियत को ही शर्मसार कर दिया। बच्ची तपती गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पानी तलाशते हुए मंदिर के पास पहुंची थी. इस घटना के बाद देश में लड़कियों की सुरक्षा का मुद्दा गरमाया था