नई दिल्ली: देश की अदालतों में ई कोर्ट प्रोजेक्ट को लेकर केन्द्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. बुधवार को पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि देश की अदालतों में ई कोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 7 हजार करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे.
वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करते हुए बताया कि 7 हजार करोड़ रूपए की राशि ई कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे चरण के लिए आवंटित की गई है.
वर्ष 2007 में CCEA (Cabinet Committee on Economic Affairs) ने फरवरी 2007 में इस ई कोर्ट परियोजना को मंजूरी दी थी. इसका मकसद लोगों को अदालतों द्वारा दी जानी वाली सेवाएं समय पर प्रदान करना, कोर्ट में निर्णय समर्थन प्रणाली स्थापित करने के साथ ही उसे विकसित और कार्यान्वित करना और न्याय को सुलभ, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना शामिल है.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 नवंबर 2022 को 'संविधान दिवस समारोह' के अवसर पर ई-कोर्ट परियोजना के तहत कई नई पहलों - वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, JustIS मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट, S3WaaS वेबसाइट्स का भी शुभारंभ किया था.
वर्तमान में अब देश की जिला न्यायपालिका में ई कोर्ट प्रोजेक्ट को मजबूत किया जा रहा है, जिससे अपराधियों और गवाहों की पेशी से लेकर रिमांड और जेल से ही कैदी की पेशी सहित कई सुधारों को अपनाया जा रहा है.
इन सब कार्यो के लिए भी ई कोर्ट प्रोजेक्ट बेहद महत्वूपर्ण है. केन्द्र सरकार द्वारा बजट में पारित किए गए 7 हजार करोड़ का बजट इस अभियान को और मजबूत करेगा.
हमारे देश में अदालतों को 1990 के दशक के मध्य से कंप्यूटर और इंटरनेट से जोड़ने की शुरुआत की गई थी. लेकिन इस मामले में वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट की ‘ई-कमेटी’ (e-Committee) गठन के बाद ही तेजी से विकास शुरू हुआ. जिसके बाद देशभर में अदालतों में ई-फाइलिंग और इंटरनेट से जुड़ी अन्य सुविधाओं की शुरुआत की गई.
सुप्रीम कोर्ट की इस पहल के बाद ही देश के प्रत्येक हाईकोर्ट में भी ई कमेटी का गठन किया गया और जिला अदालतों में भी इंटरनेट व अन्य सुविधाओं का विस्तार किया गया.
गौरतलब है कि ई-कोर्ट परियोजना एक मिशन मोड परियोजना है, जो केन्द्र सरकार के न्याय विभाग द्वारा संचालित की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट की ई कमेटी ने ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण (Phase III of the e-Courts Project) के लिए मसौदा विजन दस्तावेज जारी किया था.
इस योजना के पहले दो चरणों में ई कमेटी के प्रयासो से उद्देश्यों को प्राप्त करने में बेहद करीब तक सफलता मिली हैं. प्रथम दो चरण में देश भर की सभी अदालतों को परस्पर जोड़ना, देश की न्यायप्रणाली को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से सक्षम बनाना, अदालतों की न्यायिक उत्पादकता की क्वालिटी और मात्रा को बढाना, न्याय को सुलभ बनाना, लागत को कम करना, पारदर्शी व्यवस्था तैयार करना और आम जनता के प्रति अधिक जवाबदेह बनाने का लक्ष्य शामिल रहें है.