Supreme Court: मंगलवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में नागालैंड में एक ऑपरेशन के दौरान 13 नागरिकों की हत्या के आरोपी 30 सैन्यकर्मियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही बंद कर दी है. सैन्यकर्मियों के खिलाफ नागालैंड सरकार ने कार्यवाही शुरू की थी, जिसकी इजाजत केन्द्र सरकार ने देने से मना कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने कहा कि केंद्र ने पिछले साल 28 फरवरी को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) 1958 की धारा 6 के तहत कर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.
AFSPA की धारा 6 कहती है,इस अधिनियम द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में किए गए या किए जाने का दावा किए गए किसी भी कार्य के संबंध में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना कोई अभियोजन, मुकदमा या अन्य कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी. पीठ ने कहा, यदि AFSPA की धारा 6 के तहत किसी भी स्तर पर मंजूरी दी जाती है, तो आरोपित प्राथमिकी के अनुसार कार्यवाही जारी रह सकती है और कानून के अनुसार आगे बढ़ सकती है और तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाई जा सकती है. पीठ ने आदेश सुनाया कि आरोपियों पर एफआईआर के अनुसार कार्यवाही बंद रहेगी.
शीर्ष अदालत ने कर्मियों की पत्नियों द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर कार्यवाही बंद कर दी, जिसमें एक मेजर रैंक का अधिकारी भी शामिल है, जिन्होंने नागालैंड पुलिस द्वारा दर्ज मामले को बंद करने की मांग की थी. शीर्ष अदालत ने सेना को प्रशासनिक पक्ष से आरोपी कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने के लिए नागालैंड सरकार की प्रार्थना को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि उक्त दलील इस अदालत द्वारा विचारणीय नहीं है क्योंकि यह सशस्त्र बलों के विवेक पर निर्भर करेगा कि वे अपने अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करें या नहीं. ऐसे में, हम ऐसे कोई निर्देश जारी करने के लिए इच्छुक नहीं हैं. सशस्त्र बलों की संबंधित शाखा अपने अधिकारियों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही करने या न करने के लिए स्वतंत्र होगी.
नागालैंड सरकार ने मामले में सैन्य कर्मियों के खिलाफ केंद्र द्वारा अभियोजन स्वीकृति से इनकार करने को चुनौती देते हुए एक अलग याचिका दायर की है और मामले में नोटिस जारी किया गया है. शीर्ष अदालत ने 19 जुलाई, 2022 के अपने अंतरिम आदेश को निरपेक्ष बना दिया, जिसके तहत उसने राज्य सरकार द्वारा विशेष बल इकाई से संबंधित सैन्य कर्मियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. सैन्य कर्मियों की पत्नियों ने इस आधार पर आपराधिक कार्यवाही को बंद करने की मांग की थी कि राज्य सरकार के पास AFSPA के तहत दी गई छूट के कारण कर्मियों पर मुकदमा चलाने का कोई अधिकार नहीं है. उनकी याचिका में कहा गया था कि अगर क्षेत्र AFSPA के अंतर्गत आता है तो सैन्य कर्मियों के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्यवाही शुरू करने के लिए केंद्र से पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होती है.