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SC जज दीपंकर दत्ता का सवाल: गरीब वादी के लिए पैसे नहीं! तो जजों को ठहराने के लिए Five-Star Hotel की व्यवस्था कैसे कर रही NALSA

जस्टिस दीपंकर दत्ता ने कहा कि विधिक प्राधिकरण का प्राथमिक उद्देश्य जरूरतमंदों को न्यायिक सुविधाएं उपलब्ध कराना है, जबकि कभी NALSA के पास इसके लिए पैसे नहीं थे जबकि वो आज जजों को फाइव स्टार होटल में ठहराने का इंतजाम करने में सक्षम है.

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस दीपंकर दत्ता ने NALSA द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए

Written by Satyam Kumar |Published : October 2, 2024 2:38 PM IST

जस्टिस दीपंकर दत्ता ने कहा कि विधिक प्राधिकरण का प्राथमिक उद्देश्य आम लोगों, गरीबों व जरूरतमंदों को न्यायिक सुविधाएं उपलब्ध कराना व मदद देना है, जबकि कभी राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के पास इसके लिए पैसे नहीं थे जबकि वो आज जजों को फाइव स्टार होटल में ठहराने का इंतजाम करने में सक्षम है. जस्टिस दीपंकर दत्ता ने ये बातें नालसा द्वारा आयोजित ए.के. सेन स्मारक व्याख्यान पैनल में चर्चा के दौरान कहीं. जस्टिस ने ये बातें विधिक प्राधिकरण द्वारा एक गरीब वादी को सुप्रीम कोर्ट आने-जाने के खर्च वहन करने में असमर्थता दिखाने को लेकर कही.

NALSA का उद्देश्य मुफ्त कानूनी सेवा देना

जस्टिस दीपंकर दत्ता ने कलकत्ता हाईकोर्ट में जज के रूप में सेवा देने के दौरान अपने कार्यकाल को याद किया. उन्होंने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट में गरीब वादी ने रिट दायर की थी, लेकिन उसके पास घर से अदालत आने-जाने तक के पैसे नहीं थे, मैने नालसा से जवाब की मांग की, जिसका उद्देश्य ही जरूरतमंद लोगों को मुफ्त कानूनी सेवा प्रदान करना है, उस समय नालसा, राज्य विधिक प्राधिकरण और सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा ने तक ने फंड की कमी का दावा करते हुए गरीब वादी की मदद मुहैया कराने में असमर्थता जताई और आज नालसा ने इस कॉन्फ्रेंस के लिए जजों को फाइव स्टार होटल में ठहराने की व्यवस्था की है, जो बिल्कुल ही अलग है.

NALSA के पास अब इतना फंड कैसे?

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उपरोक्त घटना के दस साल होने को हैं और अब  मैं नालसा द्वारा आयोजित किसी भी समारोह में जाता हूं तो ये सोचने को मजबूर हो जाता हूं कि नालसा के पास इतना पैसा कहां आ रहा है? पांच से छह हाईकोर्ट के जजों को व हमें फाइव-स्टार होटल में ठहराया जा रहा है. क्या विधिक प्राधिकरण का असल उद्देश्य यही है. और क्या ऐसे ही कानूनी मुफ्त में कानूनी प्रदान की जाएगी.

इस दौरान जस्टिस दीपंकर दत्ता ने हाईकोर्ट विधिक अधिकरण की अगुवाई करनेवाले शख्स के चयन करने पर भी अपने विचार रखें. जस्टिस ने कहा कि हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ सदस्य को विधिक प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाये जाने की जगह उस उम्मीदवार को भी मौका दिया जाना चाहिए जो हाईकोर्ट में लगातार अपनी सेवा दे रहा हो, जिससे उसकी विधिक प्राधिकरण का प्रशासन सुचारू रूप से चलता रहे.