मौका था नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU)) द्वारा आयोजित जस्टिस ईएस वेंकटरमैया स्मृति व्याख्यान द्वारा आयोजित कार्यक्रम का, जिसमें जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हुए थे. सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस कार्यक्रम में अपने पिता भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश ईएस वेंकटरामैया (Former CJI ES Venkataramiah) से जुड़ी कई यादें साझा की. इस दौरान जस्टिस नागरत्ना ने पिता के लिए अपने मां के त्याग को भी बताया और पिता से जुड़ी एक अनोखी कहानी भी सुनाई.
जस्टिस नागरत्ना ने बताया कि यह कहानी साल 1946 में, नागपुर में आयोजित ऑल इंडिया लॉयर्स अधिवेशन से जुड़ी है. उस समय बैंगलोर से नागपुर की सीधी ट्रेन नहीं थी, इसलिए नागपुर जाने के लिए मद्रास यानि चेन्नई से होकर जाना पड़ता था. इसी ट्रेन में कुछ अन्य वकील भी यात्रा कर रहे थे. जस्टिस ने बताया कि 1946 के ट्रेन में मिले वकील, जब 43 साल बाद एक-दूसरे से राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में मिले. पहले भारत के राष्ट्रपति आर वेंकटरमन थे, तो दूसरे उनके पिता ईएस वेंकटरमैया थे.जस्टिस ने बताया कि जब ये उनके पिता ने राष्ट्रपति से साझा की, तो उन्हें भी ये वाक्या याद आ गया.
पाठकों को बता दें कि जस्टिस ईएस वेंकटरमैया साल 1989 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे. चीफ जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल छह महीने (181 दिन) का रहा. वहीं आर.वेंकटरमन साल 1987 में भारत के राष्ट्रपति बने थे.
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अपने पिता की उपलब्धियों के पीछे छिपी अपनी मां के त्याग का भी जिक्र किया. न्यायाधीश नागरथना ने कहा कि उनके पिता की जिंदगी में मां का समर्थन महत्वपूर्ण था. मां ने हमेशा उनके पिता के सपनों को साकार करने में मदद की.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि उन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने की प्रेरणा अपने पिता से ली है. वेंकटरामैया हमेशा अन्याय के खिलाफ हमेशा अपनी आवाज उठाते थे, लेकिन न्याय करते समय वे बेहद शांत रहते थे. जस्टिस ने बताया कि पिता के व्यक्तित्व का उनके स्वभाव पर बहुआयामी प्रभाव पड़ा है. जस्टिस ने पिता को याद करते हुए कहा कि 27 साल पहले उनका निधन के न बावजूद, उनके पिता की व्यक्तित्व हमेशा मार्गदर्शन करती है.