केन्द्र सरकार का राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए Pegasus Spyware का उपयोग करना गलत नहीं है: Supreme Court
पेगासस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई देश सुरक्षा कारणों की वजह से स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमे कुछ ग़लत नहीं है. सवाल यह है कि इसका इस्तेमाल किसको लेकर हो रहा है! अगर देश के आम नागरिकों के खिलाफ इसका इस्तेमाल हो रहा है तो हम ज़रूर देखेंगे, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता.
आतंकवादी 'राइट टू प्राइवेसी' का दावा नहीं कर सकते: केन्द्र
कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक़्त की जब याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस मामले में मूल सवाल यह है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर खरीद था और क्या वो इसका इस्तेमाल कर रहे थे. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सुरक्षा कारणों के मद्देनजर अगर देश स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमे ग़लत नहीं है. सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि आतंकवादी निजता के अधिकार (Right to Privacy) के हनन की दुहाई नहीं दे सकते.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस मामले में जांच कमेटी की पूरी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. रिपोर्ट का वो हिस्सा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, वो सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों को अपनी जासूसी का शक है, सिर्फ उनकी आशंकाओं पर कोर्ट विचार कर सकता है, पर इस रिपोर्ट को सड़क पर चर्चा का विषय नहीं बनने के लिए दिया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वो उन नाम की लिस्ट सौंपे जिन्हें अपने ऊपर जासूसी किए जाने का शक है. इसके बाद ही अदालत इस पहलू पर विचार करेगा.
Also Read
- मुस्लिम कानून में उपहार के लिए लिखित दस्तावेज अनिवार्य नहीं... सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
- सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को जारी किया नोटिस, अब 14 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
- तेलंगाना में 42% OBC आरक्षण देने के राज्य के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, सोमवार को हो सकती है अहम सुनवाई
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 30 जुलाई तक स्थगित करने का निर्देश देते हुए याचिकाकर्ताओं को अमेरिकी अदालत के उस फैसले को रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति दी जिसमें व्हाट्सऐप बनाम पेगासस मामले (Whatsapp vs Pegasus) में फैसला सुनाया गया है.
कोर्टरूम आर्गुमेंट
पेगासस स्पाईवेयर से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ सुना. एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने अदालत में कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि क्या भारत सरकार के पास पेगासस स्पाइवेयर है और क्या उसका उपयोग किया जा रहा है.
इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने टोकते हुए कहा कि किसी देश द्वारा स्पाइवेयर का उपयोग करना कोई गलत बात नहीं है, बशर्ते इसका उपयोग किसके खिलाफ किया जा रहा है यह महत्वपूर्ण है. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके प्रयोग से समझौता नहीं किया जा सकता. केन्द्र की ओर से मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आतंकवादियों को गोपनीयता का अधिकार नहीं दिया जा सकता. जस्टिस कांत ने टोकते हुए कहा कि आम नागरिकों के प्राइवेसी के अधिकार की रक्षा संविधान द्वारा की जाएगी.
आगे जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि चूंकि अदालत ने पहले ही एक समिति (न्यायमूर्ति रवींद्रन की अध्यक्षता में) गठित कर दी है, इसलिए अब क्या बचा है. इस पर कपिल सिब्बल ने तर्क किया कि 2021 में जब अदालत ने जांच कमेटी का गठन किया था, तब यह स्पष्ट नहीं था कि हैकिंग वास्तव में हुई थी या नहीं, लेकिन अमेरिकी अदालत के फैसले से इस पहलू पर तथ्यात्मक स्पष्टता मिल गई है, व्हाट्सएप ने स्वयं कहा है कि उसके खाते निशाना बनाए गए थे.
सिब्बल ने पीठ से अनुरोध किया कि वह प्रभावित व्यक्तियों को जस्टिस रवींद्रन समिति की रिपोर्ट जारी करने का आदेश दे. कपिल सिब्बल ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े पहलू को हटाकर रिपोर्ट जारी करने की मांग की. कपिल सिब्बल की मांग का समर्थन करते हुए सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने रिपोर्ट को बिना संशोधन के पेश करने की मांग की. उन्होंने कहा कि ये सुनवाई तो ओपन कोर्ट होती हैं और इस तरह की जानकारी को गोपनीय नहीं रखा जाना चाहिए.
इस मांग से आपत्ति जताते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अदालत राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों को नहीं दे सकती. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति की रिपोर्ट को सीलबंद रखने का फैसला दिया है. वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हिस्सों को छोड़कर, व्यक्तियों से संबंधित जानकारी को सार्वजनिक करने पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है.