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क्या मध्यस्थता से सुलझेगा DMRC को 2,500 करोड़ रुपये वापस करने का मामला? SC ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और एक्सिस बैंक को दिया एक हफ्ते का समय

Delhi Metro, Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने पहले अनिल अंबानी समूह की कंपनी को 8,000 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था, लेकिन बाद में इस आदेश को रद्द कर दिल्ली मेट्रो को 2,500 करोड़ रुपये वापस करने का निर्देश दिया गया है.

Written By Satyam Kumar | Published : May 7, 2025 6:14 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) और एक्सिस बैंक द्वारा दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को लगभग 2,500 करोड़ रुपये वापस देने से संबंधित विवाद के निपटारे के लिए एक सप्ताह तक इंतजार करेगा, जिसके बाद कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी.

नहीं तो कानून अपना काम करेगा: SC

एक्सिस बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को बताया कि विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच बैठकें जारी हैं. सीनियर एडवोकेट सिंघवी ने कहा कि यदि अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि मध्यस्थ के रूप में कार्य करें तो इससे विवाद को तेजी से सुलझाने में मदद मिलेगी. पीठ ने वेंकटरमणि से कहा कि वह निजी कंपनी और बैंकों के प्रबंध निदेशकों तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का विवरण तैयार रखें.

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पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 14 मई तय करते हुए कहा कि हम एक सप्ताह तक इंतजार करेंगे. यदि वे विवाद सुलझा लेते हैं तो ठीक है, अन्यथा कानून अपना काम करेगा. इससे पहले, शीर्ष अदालत के 2021 के फैसले के अनुसार, दिल्ली मेट्रो के साथ विवाद में अनिल अंबानी समूह की कंपनी को 8,000 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था. अदालत ने 2021 के फैसले को इस साल 10 अप्रैल को खारिज कर दिया था और अनिल अंबानी समूह की कंपनी को पहले से प्राप्त लगभग 2,500 करोड़ रुपये वापस करने को कहा था. पिछले साल दिसंबर में, शीर्ष अदालत ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी डीएएमईपीएल और एक्सिस बैंक के निदेशकों को पिछले साल अप्रैल के शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार डीएमआरसी को लगभग 2,500 करोड़ रुपये वापस करने में विफल रहने के लिए अवमानना ​​नोटिस जारी किया था.

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जस्टिस केवी विश्वनाथन ने खुद को सुनवाई से किया अलग

पिछले सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल के फैसले की अवमानना ​​का आरोप लगाने वाली याचिका जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई. तब, जस्टिस विश्वनाथन ने कहा किमैं इस पर सुनवाई नहीं कर सकता. शीर्ष अदालत ने कहा था कि पिछले फैसले से एक सार्वजनिक परिवहन प्रदाता के साथ घोर अन्याय’ हुआ है, जो अत्यधिक देनदारी के बोझ तले दब गया है. सुप्रीम कोर्ट  ने 2021 के फैसले के खिलाफ डीएमआरसी की क्यूरेटिव’ याचिका को स्वीकार करते हुए कहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ का आदेश बखूबी सोच-विचार कर लिया गया निर्णय था और अदालत के लिए इसमें हस्तक्षेप करने का कोई वैध आधार नहीं था.

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