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आवारा कुत्तों पर SC सख्त, कहा- 'समस्या की वजह अधिकारियों की निष्क्रियता', पुराने आदेश पर रोक की मांग पर फैसला रखा सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट

स्ट्रीट डॉग्स को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एकतरफा आदेश के बाद कुत्तों को उठा लिया जा रहा है. आदेश में कहा गया है कि नसबंदी हो जाने के बाद भी उन्हें न छोड़ा जाए. अभी शेल्टर होम ही नहीं है तो कुत्तो को पकड़कर वो कहां रखेगे.

Written By Satyam Kumar | Published : August 14, 2025 12:56 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आज (बृहस्पतिवार को) कहा कि दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की पूरी समस्या स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण है. अदालत ने शीर्ष अदालत द्वारा 11 अगस्त को पारित निर्देशों पर रोक लगाने के अनुरोध वाली अंतरिम अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने 11 अगस्त को अधिकारियों को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सभी इलाकों से जल्द से जल्द आवारा कुत्तों को उठाना शुरू करने और कुत्तों के लिए बने आश्रय गृहों में भेजने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट में आज इसी फैसले के खिलाफ सुनवाई हुई.

आज सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने सबसे पहले अपनी बात रखा. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि एक पक्ष है, जो बहुत मुखर है. एक दूसरा पक्ष है जो चुपचाप सहन कर रहा है. मैंने उन लोगो को वीडियो पोस्ट करते देखा है जो घर में बैठकर चिकन खाते हुए खुद को जानवर प्रेमी बता रहे है. बच्चे रैबीज से मर रहे है। नसबंद करने से रेबीज को नहीं रोका जा सकता. हर दिन 10 हजार कुत्ते के काटने की घटना सामने आती है. 305 लोगो की रेबीज से मौत एक साल में हुई है. कोई पशुओं से घृणा करने वाला नहीं है, पर हमे बच्चे को बाहर खेलने के लिए हम नहीं भेज सकते. एसजी मेहता ने आगे कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत मत है, सरकार का रुख नहीं. कुत्तों के बच्चों पर हमले के वीडियो भयावह हैं, आप इन्हें देख नहीं पाएंगे.

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वहीं,कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश यानि दो जजों के फैसले के खिलाफ अपनी बात रखी. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि बिना दूसरे पक्ष को सुने कोर्ट इस तरह का एकतरफ़ा आदेश पास नहीं कर सकता. कानून और एनमिल बर्थ कंट्रोल के नियमों पर पालन ज़रूरी है. एजेंसियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो इस पर अमल करे.

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कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि आपको पिछले आदेश के किस हस्से पर ऐतराज है. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी स्ट्रीट्स डॉग्स को मारने की बात नहीं कर रहा, सिर्फ उन्हें शहर से हटाने की बात हो रही है. उन्हें शेल्टर होम में रखने की बात हो रही है. कपिल सिब्बल ने कहा कि स्ट्रीट डॉग्स के नियंत्रण के लिए नियम हैं, कानून हैं, लेकिन इस पर ध्यान ही नहीं दिया जाता. सवाल यह है कि इसका पालन कौन करेगा? क्या इससे पहले नगर निगम ने शेल्टर बनाए हैं?क्या कुत्तों की नसबंदी की गई है? आवंटित बजट उड़ा दिया जाता है!

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सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एकतरफा आदेश के बाद कुत्तों को उठा लिया जा रहा है. आदेश में कहा गया है कि नसबंदी हो जाने के बाद भी उन्हें न छोड़ा जाए. अभी शेल्टर होम ही नहीं है तो कुत्तो को पकड़कर वो कहाँ रखेगे. बेंच ने पूछा कि क्या आदेश दूसरे पक्ष को सुने बिना पास किया गया है? कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि बिल्कुल ऐसा ही हुआ है.

सिब्बल ने कहा कि कल शाम को आदेश SC की वेबसाइट पर आया है, और प्रशासन ने आदेश आने से पहले ही कुत्तों को सड़कों से उठाना शुरू कर दी है. इन्हें मार दिया जाएगा. सिब्बल के साथ साथ अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश में जारी दिशानिर्देश पर रोक की मांग की

सिंघवी ने कहा कि अगर शेल्टर होम होते तो भी इस आदेश पर अमल में दिक्कत नहीं होती। शेल्टर होम ही नहीं है

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों में साफ किया गया है कि स्ट्रीट डॉग्स को स्टेरलाइज कर और वैक्सीन दे कर उनका पुनर्वास किया जाएगा, अचानक 24 से 48 घंटे में स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ कर शेल्टर होम में डालने का आदेश कैसे दिया जा सकता है!

जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि इस समस्या की सबसे बड़ी वजह जिम्मेदार विभागों की लापरवाही है. कोर्ट ने कहा कि स्थानीय ऑथिरिटी वो काम नहीं कर रही है , जो उन्हें करना चाहिए था. उन्हें अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा. कोर्ट ने इस पहलू पर आदेश सुरक्षित रखा कि क्या पिछले आदेश के दिशानिर्देश पर रोक लगाई जाए या नहीं.

(खबर जी मीडिया एजेंसी इनपुट से है)