ऑनलाइन सट्टेबाजी और लोन ऐप पर नियंत्रण जरूरी... सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ऑनलाइन सट्टेबाजी और ऋण ऐप का बढ़ना सार्वजनिक महत्व का सर्वोपरि मुद्दा है. न्यायालय ने इनके नियमन पर सभी राज्यों से जवाब मांगा. जस्टिस सूसूर्यकांत और टिसजस् जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि वह हैदराबाद के व्यवसायी के ए पॉल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें दावा किया गया है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ ऐप का उपयोग करने के बाद कई बच्चों ने आत्महत्या कर ली है. याचिका में मशहूर हस्तियों को ऐसे ऐप का समर्थन करने से और मीडिया को उन्हें प्रचारित करने से रोकने के लिए अंतरिम निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को 18 अगस्त को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर रही है और राज्यों से कहा कि वे याचिका पर शीघ्र जवाब दें. पॉल ने दलील दी कि इन सट्टेबाजी ऐप का विनियमन के मुख्य मुद्दे पर निर्णय न्यायिक प्रक्रिया में किया जा सकता है, लेकिन अंतरिम रूप से जो आवश्यक है वह यह है कि क्रिकेटर सहित मशहूर हस्तियों को इन ऐप का प्रचार करने से रोका जाए, क्योंकि कई युवा जो उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, इन ऐप का उपयोग शुरू कर देते हैं.
पॉल ने कहा, इन मशहूर हस्तियों पर तुरंत लगाम लगाई जानी चाहिए और मीडिया से कहा जाना चाहिए कि वे इन विज्ञापनों को न दिखाएं, क्योंकि इनके इस्तेमाल से 3 करोड़ से अधिक किशोर प्रभावित होते हैं. सरकार ने एक महादेव ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन कई अन्य ऐप भी हैं.’’
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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने इस दलील से सहमति जताते हुए कहा कि यदि सरकार एक ऐप पर प्रतिबंध लगाती है, तो अगले दिन उसी प्रोफाइल का दूसरे नाम वाला ऐप ऑनलाइन आ जाता है.
केंद्र को 23 मई को नोटिस जारी किया गया था. केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ इसी मुद्दे पर सुनवाई कर रही है, जहां निर्णय किया जाने वाला महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या इन ऐप को ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी ऐप के तौर पर माना जा सकता है या ये कौशल के खेल हैं.
वकील ने कहा, पिछले 30 दिनों से जिस मुद्दे पर सुनवाई हो रही है, उसका जनहित याचिका में उठाए गए इस सवाल पर सीधा असर होगा कि क्या ये ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए से संबंधित ऐप हैं.’’ उन्होंने सुनवाई स्थगित करने या मामले को न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला के नेतृत्व वाली पीठ द्वारा सुनवाई की जा रही लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ने का अनुरोध किया.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सहायता मांगी और कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वह सभी पक्षों को सुनने के बाद अंतरिम अनुरोधों पर आवश्यक निर्देश पारित करेगी.
गत 23 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोग इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की आड़ में सट्टेबाजी और जुआ खेल रहे हैं और पॉल द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया जिसमें आरोप लगाया गया था कि कई ऑनलाइन इन्फ्लूएंसर, अभिनेता और क्रिकेटर ऐसे ऑनलाइन ऐप का प्रचार कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में बच्चों को लुभा रहे हैं. याचिका में अवैध सट्टेबाजी ऐप पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने, ऑनलाइन गेमिंग और फैंटेसी स्पोर्ट्स पर सख्त नियम बनाने और एक व्यापक कानून बनाने का अनुरोध किया गया था.
पॉल ने कहा कि सिगरेट के मामले में, उनके पैकेट पर धूम्रपान के दुष्प्रभावों को दर्शाने वाली तस्वीरें होती हैं, लेकिन सट्टेबाजी ऐप के मामले में ऐसी कोई चेतावनी नहीं दिखायी जाती और यहां तक कि भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटरों ने भी आईपीएल के दौरान इन ऐप का प्रचार किया था.
पॉल ने उन लाखों माता-पिता का प्रतिनिधित्व करने का दावा किया है जिनके बच्चों की पिछले कुछ वर्षों में मौत हो गई हैं. याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि तेलंगाना में 1,023 से ज़्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली क्योंकि 25 बॉलीवुड और टॉलीवुड अभिनेताओं/इन्फ्लूएंसर ने मासूमों की जान से खिलवाड़ किया. उन्होंने कहा कि तेलंगाना में प्रभावशाली लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, क्योंकि यह मामला मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.