Advertisement

पहले से नौकरी में होने पर नहीं बल्कि Seniority IN Post भर्ती परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर तय करें: Supreme Court

Supreme Court, Direct Examination

सुप्रीम कोर्ट ने प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर सेवा में नियुक्ति के बाद वरिष्ठता का निर्धारण केवल परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर ही किया जाना चाहिए, ना कि इसे केवल पूर्व सेवा को ध्यान में रखते हुए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मार्क्स के आधार पर बनाई गई रैंकिंग ही सीनियरिटी का आधार होगी.

Written By Satyam Kumar | Published : May 5, 2025 11:55 AM IST

यह मामला तमिलनाडु पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1955 में हेड कांस्टेबल के लिए उप निरीक्षकों (Sub-Insprector) के प्रत्यक्ष भर्ती प्रक्रिया में पदोन्नति कोटा शुरू करने के मामले से जुड़ा है, जिसमें मूल रूप से, 1955 के नियमों में हेड कांस्टेबल के लिए सीधी भर्ती प्रक्रिया से सब-इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति के लिए कोई कोटा निर्धारित नहीं था. 1995 में एक सरकारी आदेश जारी करके डायरेक्ट भर्ती की रिक्तियों में से 20% इन-सर्विस हेड कांस्टेबल ( पहले से कार्यरत) के लिए आरक्षित कर पहले से नौकरी होने के आधार पर चयन में उन्हें ज्यादा तवज्जों देने की बात कही गई. यह रूप पहले वैधानिक रूप से लागू नहीं किया गया. हालांकि, सरकारी आदेश में यह भी कहा गया कि इस परीक्षा में वरीयता पर पहले से नौकरी में कार्यरत हेड कांस्टेबल को चयन में प्राइयोरिटी दी जाएगी. साल 2017 में तमिलनाडु सरकार ने जब इसे संशोधित किया तब इसे वैधानिक रूप से लागू किया. जिसे लेकर बहाली परीक्षा पास करके आए छात्रों ने दावा किया कि कम अंकों वाले इन-सर्विस उम्मीदवारों को वरिष्ठता देना समानता (अनुच्छेद 14) और योग्यता आधारित नियुक्तियों (अनुच्छेद 16) के सिद्धांत का उल्लंघन करता है.  उन्होंने  हाई कोर्ट से राहत की मांग की.

वरीयता मार्क्स पर ना कि अन्य फैक्टर पर: SC

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. उन्होंने स्पष्ट किया सीधे भर्ती परीक्षा से बहाली लेने वाले मामले में वरीयता पूरी तरह से परीक्षा में आए परिणाम के आधार पर किया जाना चाहिए, ना कि पहले से की जा रही नौकरी के आधार पर. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को अपने आदेश में सुधार करने के निर्देश दिए हैं.

Advertisement

मद्रास हाई कोर्ट के फैसला खारिज

मामला मद्रास हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया. मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि चयन परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को सेवा में पहले से कार्यरत उम्मीदवारों पर वरीयता मिलनी दी जानी चाहिए. अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वरीयता का निर्धारण परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए, न कि पूर्व सेवा अनुभव जैसे कारकों पर.

Also Read

More News