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'सत्ता का दुरुपयोग.. मात्र 115 रुपये में धोखाधड़ी से दफ्तर पर कब्जाने की कोशिश', सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी को लगाई फटकार

Supreme Court, Akhilesh Yadav

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के अधिवक्ता से कहा कि इस समय आप एक अनधिकृत अधिभोगी हैं. ये धोखाधड़ी वाले आवंटन नहीं, बल्कि धोखाधड़ी वाले कब्जे हैं.

Written By Satyam Kumar | Published : July 22, 2025 11:11 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में मात्र 115 रुपये में कार्यालय की जगह धोखाधड़ी से कब्जाने के लिए सोमवार को समाजवादी पार्टी को फटकार लगाई और इसे राजनीतिक शक्तियों का स्पष्ट दुरुपयोग बताया. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राजनीतिक दल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे से कहा कि यह धोखाधड़ी से आवंटन का मामला नहीं है, बल्कि बाहुबल और सत्ता का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी से कब्जा’ किए जाने का मामला है.

सुप्रीम कोर्ट पीलीभीत नगरपालिका परिषद के बेदखली आदेश के खिलाफ यहां पार्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने तर्क दिया कि कार्यालय के लिए किराया देने के बावजूद, नगर निगम के अधिकारी उनके मुवक्किल को बेदखल करने पर अड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि बेदखली आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक मुकदमा दायर किया गया है.

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पीठ ने कहा,

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आप एक राजनीतिक दल हैं. आपने जगह पर कब्जा करने के लिए आधिकारिक पद और राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग किया. जब कार्रवाई होती है, तो आपको सब कुछ याद आने लगता है. क्या आपने कभी नगरपालिका क्षेत्र में 115 रुपये किराए पर कार्यालय की जगह के बारे में सुना है? यह सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है.’’

जब दवे ने छह सप्ताह तक बेदखल नहीं किए जाने की अपील की की, तो पीठ ने कहा कि इस समय आप एक अनधिकृत अधिभोगी हैं. ये धोखाधड़ी वाले आवंटन नहीं, बल्कि धोखाधड़ी वाले कब्जे हैं. दवे ने दावा किया कि अधिकारियों द्वारा पार्टी को निशाना बनाया जा रहा है।

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इस पर पीठ ने कहा कि बेहतर होगा कि आप उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करें और ऐसे किसी भी धोखाधड़ी वाले आवंटन या कब्जे को अदालत के संज्ञान में लाएं। हम इस कदम का स्वागत करेंगे. शीर्ष अदालत ने पार्टी को नगर निकाय के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में जाने की छूट दी.

सुप्रीम कोर्ट ने 16 जून को पार्टी के पीलीभीत जिलाध्यक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जो उन्हें स्थानीय पार्टी कार्यालय खाली करने के आदेश के मामले में नई याचिका दायर करने से रोकता था.