Advertisement

किस दिशा की ओर जा रहे हम? भावनाएं आहत हो गई, केवल इसलिए... स्टैंड अप कॉमेडी-फिल्म बैन कराने के ट्रेंड को लेकर SC की दो टूक

Thug Life, Supreme Court

कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि वे फिल्म प्रदर्शित करने वाले सिनेमाघरों को सुरक्षा मुहैया कराएगी.

Written By Satyam Kumar | Updated : June 20, 2025 11:37 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक सरकार को कमल हासन अभिनीत फिल्म 'ठग लाइफ' के राज्य में प्रदर्शन में बाधा डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया और कहा कि किसी फिल्म, स्टैंड-अप कॉमेडी या कविता पाठ को सिर्फ इसलिए नहीं रोका जा सकता कि इससे किसी की भावनाएं आहत हुई हैं.

जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि भारत में भावनाएं आहत होने का कोई अंत नहीं है. यदि कोई स्टैंड-अप कॉमेडियन कुछ कहता है, तो भावनाएं आहत हो जाती हैं और तोड़फोड़ व विरोध प्रदर्शन होते हैं। हम कहां जा रहे हैं? क्या इसका मतलब यह है कि विरोध के कारण फिल्म रोक दी जानी चाहिए या स्टैंड-अप कॉमेडी रोक दी जानी चाहिए या कविता पाठ बंद कर दिया जाना चाहिए? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार का यह आश्वासन स्वीकार किया कि वह फिल्म प्रदर्शित करने वाले सिनेमाघरों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएगी.

Advertisement

पीठ ने कहा,

Also Read

More News

"राज्य ने हलफनामा दायर कर फिल्म के प्रदर्शन का रास्ता साफ कर दिया है...हमें लगता है कि इस मामले को बंद करना न्याय के हित में होगा. हम दिशा-निर्देश जारी करना या जुर्माना लगाना उचित नहीं मानते. हालांकि, हम कर्नाटक राज्य को निर्देश देते हैं कि यदि कोई व्यक्ति या समूह फिल्म के प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न करता है या जबरदस्ती या हिंसा करता है, तो राज्य को क्षतिपूर्ति समेत आपराधिक और नागरिक कानून के तहत तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए."

शीर्ष अदालत ने कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (केएफसीसी) से भी इस बारे में सवाल किया कि उसने दिग्गज अभिनेता कमल हासन से उनकी इस टिप्पणी के लिए माफी मांगने को कहा था कि कन्नड़ का जन्म तमिल से हुआ है.

Advertisement

पीठ ने पूछा,

"हम ऐसा होने की अनुमति नहीं दे सकते. सिर्फ एक राय के कारण क्या एक फिल्म रोक दी जानी चाहिए? एक स्टैंड-अप कॉमेडी रोक दी जानी चाहिए? एक कविता का पाठ रोक दिया जाना चाहिए?"

हालांकि, केएफसीसी के वकील ने कहा कि उन्होंने कोई धमकी नहीं दी, बल्कि केवल एक पत्र जारी किया कि राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहा है और कृपया माफी मांगने पर विचार करें. केएफसीसी के वकील ने कहा कि भीड़ उनके दफ्तर में घुस आई थी और उसके बाद उन्होंने एक पत्र जारी किया था. जस्टिस भुइयां ने पूछा कि क्या केएफसीसी ने इस संबंध में पुलिस से कोई शिकायत की है.

जस्टिस ने सवाल किया,

"आप वास्तव में भीड़ के दबाव में आ गए. क्या आप पुलिस के पास गए? नहीं. इसका मतलब है कि आपको उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं है. आप बस बच रहे हैं.”

केएफसीसी के वकील ने कहा कि वे अदालत द्वारा पारित किसी भी आदेश का पालन करेंगे. फिल्म के निर्माताओं में से एक, कमल हासन की राजकमल फिल्म इंटरनेशनल लिमिटेड की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि हालांकि अब तक (कमाई में) 30 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है, लेकिन अगर राज्य फिल्म की स्क्रीनिंग के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए सहमत हो जाता है, तो उन्हें कोई समस्या नहीं है.

शीर्ष अदालत एम महेश रेड्डी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 'ठग लाइफ' की स्क्रीनिंग की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी. हासन की टिप्पणियों के बाद कर्नाटक में फिल्म रिलीज करने की अनुमति नहीं दी गई थी. शीर्ष अदालत ने अभिनेता की फिल्म राज्य के सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं किए जाने पर 17 जून को कर्नाटक सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि भीड़ को सड़कों पर डेरा जमाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)