Waqf Amendment Act 2025: वक्फ-बाई-यूजर के प्रावधान, बोर्ड में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की कमी, जानें सुप्रीम कोर्ट में आज क्या कुछ हुआ
आज दोपहर दो बजे से सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संजय कुमार की पीठ इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाई यूजर के प्रावधानों पर सवाल उठाया, साथ ही बोर्ड में मुस्लिम प्रतिनिधत्वों की संख्या कम होने पर भी सवाल उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसे पहलु है, जिन पर हमे विचार करना पड़ेगा. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कल दो बजे से सुनवाई करेगी.
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देनेवाली कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें असदुद्दीन ओवैसी, अमानतुल्लाह खान, नागरिक अधिकारों के संरक्षण के लिए संघ (Protection Of Civil Rights), अरशद मदनी, समस्त केरल जमीअतुल उलेमा, अंजुम क़ादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फ़ज़लुर्रहीम और मनोज कुमार झा जैसी हस्तियों की याचिकाएँ शामिल हैं. इसके अलावा, महुआ मोइत्रा, ज़िया-उर-रहमान बरक़, जगन मोहन रेड्डी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और विजय जैसे नेताओं ने भी याचिका दायर की है. केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में एक कैविएट दायर किया और किसी भी आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग की. कैविएट का मतलब है कि किसी भी आदेश को पारित करने से पहले उसे सुना जाए. साथ ही, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और उत्तराखंड सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
सुनवाई से पहले वकीलों ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट के वकील जलील अहमद ने IANS से बातचीत करते हुए अधिनियम की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि नया संशोधन वक्फ संपत्तियों पर ऐतिहासिक अधिकारों को छीनने जैसा है. उन्होंने कहा कि संशोधन के अनुसार, वक्फ संपत्तियों से संबंधित सभी दस्तावेज छह महीने के भीतर वक्फ पोर्टल पर अपलोड करने होंगे, जबकि देश में हजारों ऐसी वक्फ संपत्तियां हैं जिनका कोई औपचारिक दस्तावेज या रजिस्ट्रेशन नहीं है, विशेषकर वे जो 1908 से पहले स्थापित हुई थीं. उन्होंने इसे गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि महज दस्तावेज की कमी के चलते सरकार किसी संपत्ति को अपने कब्जे में नहीं ले सकती. जलील अहमद ने संसद में इस विधेयक को पारित किए जाने की प्रक्रिया को भी अलोकतांत्रिक बताया और कहा कि पूरी विपक्षी पार्टी ने इसका विरोध किया, लेकिन बहुमत का सहारा लेकर इसे थोप दिया गया.
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एडवोकेट प्रदीप यादव ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया, जो सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है. उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम मुस्लिम समुदाय से संबंधित धार्मिक विषय है, और इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति की अनुमति देना धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-30) के अधिकारों का उल्लंघन है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब अन्य धर्मों के ट्रस्टों में बाहरी लोगों की अनुमति नहीं होती, तो वक्फ में यह प्रावधान क्यों? प्रदीप यादव ने यह भी कहा कि इस संशोधन के जरिए एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है और यह भारत को धार्मिक असहिष्णुता की ओर ले जा सकता है। उन्होंने अंतरिम रोक की मांग करते हुए इसे "एंट्री मिस्टेक" बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से फौरन हस्तक्षेप की अपील की.
इस कानून के पक्ष में खड़ी हिंदू सेना की ओर से वकील वरुण सिन्हा ने सरकार के रुख का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 के सेक्शन 40 और सेक्शन 3 का दुरुपयोग पूरे देश में देखने को मिला है, जहां लोगों की जमीनें बिना पर्याप्त प्रमाण के वक्फ संपत्ति घोषित कर दी गईं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि बिहार और दक्षिण भारत के कई गांवों में वक्फ बोर्ड ने मनमाने तरीके से नोटिस भेजकर जमीनों पर कब्जा कर लिया. वरुण सिन्हा ने कहा कि इसी तरह की शिकायतों और दस्तावेज़ी साक्ष्यों के आधार पर केंद्र सरकार ने संशोधन को आवश्यक माना और वक्फ एक्ट में बदलाव किए. उन्होंने कहा कि संशोधन का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के अधिकारों को संतुलित करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी व्यक्ति की निजी संपत्ति पर अवैध रूप से दावा न किया जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग इस संशोधन का विरोध कर रहे हैं, वे केवल राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम रोक के किसी भी प्रयास का विरोध करने की बात भी कही और कहा कि अगर 1995 का मूल कानून ही असंवैधानिक था, तो 2025 का संशोधन उसका सुधारात्मक प्रयास है.
लाइव अपडेट
Waqf Act को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में कल दोबारा से होगी सुनवाई
SG तुषार मेहता ने कहा कि आप नोटिस जारी कीजिए. सरकार जबाव देने को तैयार है. आप रोजना सुनवाई करके फैसला दिजिए, सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है.
SC ने पश्चिम बंगाल में हुई सुनवाई को लेकर चिंता जाहिर की कल सुनवाई होगी. अभी कोर्ट ने अंतरिम आदेश नहीं जारी किया है इस आदेश के संकेत दिए थे, पर आखिरकार कोर्ट ने आदेश पास नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अंतरिम आदेश में व्यवस्था देगा कि–
- जिन प्रॉपर्टी को कोर्ट के आदेश द्वारा वक्फ घोषित किया जा चुका है उन्हें नए वक़्फ़ कानून के तहत denotify नहीं किया जाएगा.
- विवादित प्रॉपर्टी के मामले में कलेक्टर जांच जारी रख सकते हैं लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा.
- EX offico मेम्बर को छोड़कर काउंसिल और बोर्ड के सभी सदस्य मुस्लिम होंगे. अभी कोर्ट ने ऐसे आदेश के संकेत दिए है औपचारिक आदेश अभी होना बाकी है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि जब 100 या 200 साल पहले किसी सार्वजनिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया जाता है.. तो अचानक आप कहते हैं कि इसे वक्फ बोर्ड द्वारा अधिग्रहित किया जा रहा है और अन्यथा घोषित किया जा रहा है,
SG तुषार मेहता: यह सही नहीं है, इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास वक्फ है और आप इसके बजाय ट्रस्ट बना सकते हैं. तो आप ऐसा कर सकते हैं.. यह एक सक्षम प्रावधान है,
चीफ जस्टिस: आप अतीत को फिर से नहीं लिख सकते!
मेहता संरचना के बारे में बताते हैं.
CJI: केवल 8 मुस्लिम सदस्य हैं, हम न्यायनिर्णयन के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. हम पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष हैं, हमारे लिए, एक या दूसरा पक्ष, समान है. यदि हम किसी धार्मिक मुद्दे से निपट रहे हैं, तो मुद्दे उठेंगे. मान लीजिए हिंदू मंदिर में, गवर्नर काउंसिल में सभी हिंदू हैं. आप न्यायाधीशों के साथ कैसे तुलना कर रहे हैं?
सीजेआई: जब हम यहां निर्णय लेने के लिए बैठते हैं, तो हम अपना धर्म खो देते हैं. हम धर्मनिरपेक्ष हैं. हम एक बोर्ड के बारे में बात कर रहे हैं जो धार्मिक मामलों का प्रबंधन करता है.
मेहता: यह एक सलाहकार निकाय है,
सीजेआई: उन्हें बहुमत में क्यों नहीं रखा जाता. जब तक पूर्व अधिकारी सदस्य हैं, तब तक कोई समस्या नहीं है. यदि 22 सदस्य हैं, और उनमें केवल 8 मुस्लिम हैं..
जे विश्वनाथन: सीजेआई क्या कह रहे हैं, क्या होगा यदि एस.3(सी) शामिल है, और सरकार कहती है कि यह उनकी संपत्ति है? भूमि अतिक्रमण अधिनियम में, कानून कहता है कि वास्तविक शीर्षक पर न्यायालय द्वारा विचार किया जाएगा
मेहता: ऐसे निर्णय हैं जो कहते हैं कि सरकार ट्रस्टी के रूप में इसे विनियमित कर सकती है.. यदि कोई प्रश्न उठता है कि क्या संपत्ति सरकारी संपत्ति है, तो कलेक्टर यह निर्धारित करेगा- यह प्रावधान क्यों आया? कोई भी विवाद नहीं कर सकता है कि सरकारी संपत्ति सरकारी संपत्ति के अलावा और कुछ नहीं हो सकती है.
सीजेआई: आप सबसे पहले इस बात की किसी भी अन्य घोषणा को रद्द करें कि संपत्ति एक वक्फ संपत्ति है
मेहता: सरकारी भूमि पर, राजस्व के लिए एक न्यायनिर्णयन होना चाहिए. जेसीपी के समक्ष तर्क था कि कलेक्टर एक राजस्व अधिकारी है, उसके ऊपर एक अधिकारी होना चाहिए,
सीजेआई: प्रावधान पढ़ें- जिस क्षण कलेक्टर जांच कहता है, क्या यह उचित है? क्या यह उचित है?
SG मेहता ने वक्फ की भूमि पर चल रहे विवाद में कहा कि वक्फ का पद निलंबित है, लेकिन इसका उपयोग रुकने की बात नहीं कही गई है. ये राजस्व संबंधी कार्यवाही हैं, और यदि कोई प्रतिकूल अधिकार चाहता है, तो वह उपचार प्राप्त कर सकता है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि दीवानी मुकदमे पर रोक है. उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ पंजीकृत करना मुश्किल है और इसका दुरुपयोग होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई वास्तविक वक्फ नहीं है.
SG मेहता ने धारा 81 का हवाला देते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल एक न्यायिक निकाय है जिसमें एक न्यायाधीश और मुस्लिम कानून के जानकार व्यक्ति होते हैं, और न्यायिक समीक्षा समाप्त नहीं हुई है.
जस्टिस विश्वनाथन ने धारा 9 का उल्लेख किया जिसमें उच्च न्यायालय में अपील का प्रावधान है.
मेहता ने कहा कि न्यायाधिकरण का निर्णय पहले अंतिम था, अब यह अधिक व्यापक हो गया है.
चीफ जस्टिस ने स्पष्टीकरण मांगा कि क्या यह घोषित किया गया है या नहीं. मेहता ने कहा कि यदि यह पंजीकृत है, तो वे हलफनामा देंगे. चीफ जस्टिस ने कहा कि यह कानून द्वारा स्थापित व्यवस्था को उलट देगा और पूछा कि कैसे पंजीकरण होगा.
चीफ जस्टिस ने कहा कि यह कानून द्वारा स्थापित व्यवस्था को उलट देगा; पंजीकरण कैसे होगा? धारा 2 पर विचार करें.
सीजेआई ने कहा कि यदि आप वक्फ-बाय-यूजर संपत्तियों को गैर-अधिसूचित (De notify) करने जा रहे हैं, तो यह एक मुद्दा होगा. विधायिका न्यायालय के किसी निर्णय या डिक्री को शून्य घोषित नहीं कर सकती, आप कानून के आधार को हटा सकते हैं लेकिन आप किसी निर्णय को बाध्यकारी नहीं घोषित कर सकते हैं या घोषित नहीं कर सकते हैं.
मेहता: मुझे नहीं पता कि वे शब्द क्यों आए हैं. उस हिस्से को अनदेखा करें. मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग है जो मुस्लिम बोर्ड द्वारा शासित नहीं होना चाहता है. यदि कोई मुसलमान दान करना चाहता है, तो वह ट्रस्ट के माध्यम से ऐसा कर सकता है.
सीजेआई: उपयोगकर्ता द्वारा पिछले वक्फ से संबंधित मुद्दे हैं. मेहता: श्री सिब्बल कहते हैं, यह केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण रूप से हड़पा गया है, कृपया 1995 के अधिनियम में धारा 9 को देखें. 2013 के संशोधन के बाद भी हमेशा केंद्र सरकार ही सदस्यों का नामांकन करती रही है.
कोर्ट ने वक़्फ़ काउंसिल में गैर मुस्लिमो की एंट्री पर सवाल उठाते हुए SG तुषार मेहता से कहा कि क्या अब आप Hindu Endownment boards में भी मुस्लिमो को शामिल करने की इजाज़त देंगे.
CJI ने waqf by user को लेकर सरकार के स्टैंड पर सवाल उठाया. सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आप ये नहीं कह सकते कि Waqf by user के सारे मामलों में गड़बड़ी ही होती है. आप पुरानी प्रोपर्टी को कैसे पंजीकृत करेंगे? आज उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे. मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसले भी देखे हैं. Waqf by user को मान्यता दी गई है, अगर आप इसे पलटते है तो इससे समस्या होगी.
Big Breaking: जस्टिस बीआर गवई होंगे भारत के अगले CJI, 14 मई को लेंगे शपथ
जस्टिस बीआर गवई होंगे भारत के अगले CJI, 14 मई को लेंगे शपथ
CJI -अंग्रेजों के आने से पहले हमारे पास कोई पंजीकरण या संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम नहीं था.
जस्टिस विश्वनाथन ने सवाल उठाया - मान लीजिए कोई व्यक्ति waqf by user के तहत रजिस्ट्रेशन करना चाहता है और सरकार की ओर से यह दावा किया जाता है कि यह सरकारी भूमि है.. तो ऐसी सूरत में क्या होगा
CJI ने पूछा कि संशोधन कानून से पहले जो प्रोपर्टी user के आधार पर वक़्फ़ हुई, क्या वो अब वक्फ नहीं रहेगी?
SG तुषार मेहता ने कहा कि अगर वो प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड हो चुकी है उस पर कोई असर नहीं होगा, वो वक़्फ़ की प्रॉपर्टी रहेगी .
SG मेहता -अगर प्रोपर्टी रजिस्टर नहीं है तो उसे यू ही वक़्फ़ नहीं माना जाएगा. वैसी सूरत में सिविल कोर्ट को तय करने दीजिए
SC ने SG तुषार मेहता की दलील पर सवाल उठाते हुए कहा कि बहुत सी मस्जिद 14 वी और 15 वी शताब्दी में बनी है. अब उनके लिए रजिस्टर्ड डीड मांगी जाएगी तो ये संभव नहीं होगा.