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दिल्ली दंगे के आरोपियों की जमानत याचिका पर सु्प्रीम कोर्ट ने Delhi Police को जारी किया नोटिस, 7 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट (सौजन्य से SC की ऑफिसियल वेबसाइट)

दिल्ली दंगे के आरोपियों की जमानत याचिका पर जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ताओं ने जमानत की मांग करते हुए दावा किया कि इनमें से अधिकतर आरोपी छात्र हैं और वे पिछले 5 साल से जेल में बंद हैं.

Written By Satyam Kumar | Published : September 22, 2025 3:50 PM IST

Delhi Riots 2020: सुप्रीम कोर्ट ने आज 2020 दिल्ली दंगा साजिश मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को अपना जवाब रखने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई को 7 अक्टूबर तक स्थगित किया है.

दिल्ली दंगे के आरोपियों की जमानत याचिका पर जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि इनमें से अधिकतर लोग छात्र हैं और 5 साल से जेल में बंद हैं. इससे पहले, इस मामले पर 19 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी कारणवश यह सुनवाई टल गई थी.

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जमानत के लिए याचिका दायर करने वालों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप हैं, जो फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे कथित बड़ी साजिश से जुड़ा है. इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को इमाम, खालिद और मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, अतर खान, शिफा-उर-रहमान, मोहम्मद सलीम खान, शादाब अहमद और खालिद सैफी समेत 7 अन्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था. एक अन्य आरोपी, तस्लीम अहमद, को भी अलग बेंच ने जमानत देने से इनकार कर दिया था. दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया. पुलिस का दावा है कि 2020 में हुए दंगे पूर्व नियोजित और सुनियोजित साजिश का नतीजा थे. पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने हिंसा भड़काने में सक्रिय भूमिका निभाई थी. आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया उमर खालिद और शरजील इमाम की गंभीर संलिप्तता प्रतीत होती है. कोर्ट ने उन पर लगाए गए आरोपों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने जो भाषण दिए, वे सांप्रदायिक प्रकृति के थे और उनका मकसद बड़ी भीड़ इकट्ठा करना था. 2020 की हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के खिलाफ देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच शुरू हुई थी. इस हिंसक घटना में 53 लोगों की मौत हो गई और 700 से अधिक लोग घायल हो गए.

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