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भारतीय नर्स को यमन में फांसी से बचाने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल, केन्द्र सरकार को ये निर्देश देने की मांग

सुप्रीम कोर्ट

निमिषा प्रिया केरल की एक 38 वर्षीय नर्स हैं जिन्हें यमन की अदालत ने 2017 में अपने व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी पाया है. इसी मामले में उन्हें 16 जुलाई को उन्हें फांसी की सजा दी जा सकती है. आइये जानते हैं इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्यों याचिका दायर की गई है...

Written By Satyam Kumar | Published : July 13, 2025 11:19 PM IST

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र  सरकार से एक भारतीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने के वास्ते निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. भारतीय नर्स को हत्या के जुर्म में 16 जुलाई को यमन में फांसी दिए जाने की संभावना है. केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन की एक अदालत ने 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी करार दिया गया था. उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और उनकी अंतिम अपील 2023 में खारिज कर दी गई थी.

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ इस मामले की सुनवाई कर सकती है. अधिवक्ता सुभाष चंद्रन के.आर. ने कहा था कि इस मामले में जल्द से जल्द राजनयिक माध्यम तलाशे जाने की आवश्यकता है, जिसके बाद मामले को 10 जुलाई को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. अधिवक्ता ने दलील दिया कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ब्लड मनी’ देने की संभावनाएं भी तलाशी जा सकती हैं. उन्होंने दलील दी थी कि अगर ब्लड मनी’ दे दी जाए तो मृतक का परिवार केरल की नर्स को माफ कर सकता है. ब्लड मनी, आरोपी (आमतौर पर हत्यारे) या उसके रिश्तेदारों की ओर से मृतक के परिजन को दिया जाने वाला मुआवजा होता है, पीठ ने वकील से याचिका की प्रति अटॉर्नी जनरल को देने को कहा और उनकी सहायता मांगी.

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यमन की अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, निमिषा प्रिया ने जुलाई 2017 में कथित तौर पर अपने स्थानीय व्यापारिक साझेदार तलाल अब्दो मेहदी को नशीला पदार्थ देकर उसकी हत्या कर दी और एक अन्य नर्स की मदद से उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. इसके बाद उसने उसके क्षत-विक्षत अंगों को एक भूमिगत टैंक में फेंक दिया.

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पीटीआई भाषा के मुताबिक, मेहदी की हत्या का पता चलने के बाद निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया और उसने कथित तौर पर अपने एक बयान में हत्या की बात कबूल कर ली. यमन की अधीनस्थ अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई है, उसने इस फैसले को यमन की सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी, लेकिन उसकी अपील खारिज कर मौत की सजा बरकरार रखी गई. सूत्रों ने बताया कि निमिषा ने फिर यमन के राष्ट्रपति से दया की अपील की, लेकिन उन्होंने उसे माफी देने से इनकार कर दिया. अब भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है.

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(खबर एजेंसी इनपुट आधार के लिखी पर गई है)