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सुप्रीम कोर्ट की पहल, अब जजमेंट कॉपी में AOR के साथ वकीलों के नामों की लंबी फेहरिस्त नहीं दिखेगी

वकीलों का एक समूह गाउन में कोर्ट के बाहर

जजमेंट कॉपी में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के साथ वकीलों की लंबी फेहरिस्त को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि केवल सीनियर वकील, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड और उन वकीलों के नाम को रिकॉर्ड किया जाएगा जो सुनवाई के समय कोर्ट में मौजूद हैं.

Written By Satyam Kumar | Published : March 19, 2025 1:16 PM IST

अगर आपने कभी सुप्रीम कोर्ट के किसी जजमेंट से रूबरू हुए होंगे, तो आपको दोनों पक्षों के वकीलों को लंबी फेहरिस्त सबसे पहले ही दिख पड़ेगी. कभी-कभी यह आधे पेज से लेकर दो पन्नों तक की हो जाती है, और व्यवहारिक में सुप्रीम कोर्ट से कुशल भला कौन हो सकता हैं. कई मौकों पर हिदायत दी गई की जजमेंट में फैसले की अपेक्षा वकीलों के नाम ज्यादा होते हैं. और आजकल जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट AOR के रवैये को अनुशासित करने में जुटा है, उससे यह अपेक्षित था ही कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को लेगा. एक वजह हो सकती है कि सुप्रीम कोर्ट अभी सिविल जजों की बहाली का मामला भी सुन रहा है, जिसमें शीर्ष अदालत को यह तय करना है कि क्या सिविल जज की योग्यता साबित करने के लिए कितने साल की प्रैक्टिस आवश्यक है और अगर है, तो वकालत प्रैक्टिस का अनुभव कितने साल का होना चाहिए. इस पर हम दूसरे पोस्ट में बात करेंगे अभी हम AOR, बहस में उपस्थित होने वाले वकील और जजमेंट कॉपी में उनके नाम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जानते हैं.

वकीलों की उपस्थिति दर्ज करने पर SC सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने आज अदालत में वकीलों की उपस्थिति और केस में उनके नाम शामिल करने को लेकर अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट किया है कि अब से वे जजमेंट में सिर्फ सीनियर वकील, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड और उन वकीलों की उपस्थिति को ही रिकॉर्ड किया जाएगा जो सुनवाई के समय कोर्ट में शारीरिक रूप से उपस्थित हैं और मामले में तर्क कर रहे हैं. इसके साथ ही, एक सहायक वकील की मौजूदगी को दर्ज किया जाएगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उपस्थिति को पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 के अनुसार होना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने वकीलों की उपस्थिति दर्ज करने को लेकर अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने आज कहा कि अपीयरेंस के रिकॉर्ड कई मामलों में कई पन्नों में हैं, जबकि सभी वकील कोर्ट में शारीरिक रूप से उपस्थित भी नहीं होते हैं. जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में वकीलों के अपीयरेंस को चिह्नित करने की अजीब प्रथा का पालन किया जा रहा था, बिना यह प्रमाणित किए कि सभी वकील पार्टी के लिए अधिकृत हैं.

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पीठ ने जजमेंट कॉपी में अधिवक्ताओं की उपस्थिति दर्ज करने को लेकर अहम दिशानिर्देश जारी किए हैं.

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  1. अब से वकालतनामा तभी मान्य होगी जब इसे एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड की उपस्थिति में सिग्नेचर यानि की पार्टी की सहमति दी जाएगी. (वकालतनामा, वह डॉक्यूमेंट होता है जो मुवक्किल की ओर से वकील को उसका मुकदमा लड़ने की सहमति की पुष्टि करता है.)
  2. एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड को उपस्थिति स्लिप में आवश्यक विवरण प्रदान करना होगा जैसा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी नोटिस में बताया गया है.
  3. केवल उन सीनियर एडवोकेट और वकीलों की उपस्थिति को रिकॉर्ड किया जाएगा जो सुनवाई के समय कोर्ट में शारीरिक रूप से उपस्थित हैं.
  4. यदि अपीयरेंस स्लिप जमा करने के बाद AoR या सीनियर वकील में बदलाव होता है, तो संबंधित AoR को नई अपीयरेंस स्लिप जमा करनी होगी.
  5. सुप्रीम कोर्ट में कोई भी सीनियर वकील बिना एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के उपस्थित नहीं होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हर वकालतनामा या उपस्थिति का ज्ञापन मामला में जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ आता है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा उठाए गए तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड उपस्थिति वकील की चैंबर आवंटन, चुनावों में भागीदारी आदि पर प्रभाव डालता है.

यहां से शुरू हुआ मामला

सुप्रीम कोर्ट ने भगवान दास बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में निर्देश दिया था कि रिकॉर्ड में केवल उन वकीलों का नाम जाएगा,जो मामलों में तर्क करते हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील के खिलाफ CBI जांच के आदेश दिए थे, जिसने पार्टी यानि कि मुवक्किल का फेक सिग्नेचर कर मुकदमा दायर किया था. वहीं, उपस्थिति रिकॉर्ड को लेकर जारी किए दिशानिर्देशों सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (SCAORA) ने संयुक्त रूप से याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की उपस्थिति रिकॉर्ड करने को लेकर आपत्ति जताई थी. SCBA और SCAORA ने इस निर्देश पर आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि यह उन वकीलों के प्रति अन्याय होगा जो याचिका के मसौदे और रिसर्च कार्य में सहायता करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आज इसी मामले में उपस्थिति रिकॉर्ड दर्ज करने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं.