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अगर चार्जशीट में नाम आया तो ट्रायल कोर्ट आरोपी की गिरफ्तारी के लिए सभी कठोर कदम उठाएं... Patna HC के अग्रिम जमानत की शर्त को सुप्रीम कोर्ट ने बदला

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि पटना हाई कोर्ट को ट्रायल कोर्ट को चार्जशीट के आधार पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र रूप से फैसला लेने के लिए छोड़ देना चाहिए था.

Written By Satyam Kumar | Updated : March 20, 2025 6:07 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के आदेश में बदलाव करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट को चार्जशीट के जमा होने पर आरोपी को जेल में रखने के लिए सभी 'कठोर कदम' (Coercive Steps) उठाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता. एक मामले में आरोपी को पटना हाई कोर्ट ने सशर्त अग्रिम जमानत देते हुए कहा था कि यदि चार्जशीट में आरोपी का नाम आता है, तो वर्तमान अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) के आदेश का प्रभाव समाप्त हो जाएगा और ट्रायल कोर्ट को आरोपी को जेल में रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को संबंधित अदालत में तीन सप्ताह के भीतर पेश होने का निर्देश दिया है और तब तक पूर्व में दी गई अंतरिम सुरक्षा को बढ़ा दिया है.

ट्रायल कोर्ट को विवेकाधिकार होने चाहिए: SC

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा शामिल ने स्पष्ट किया कि पटना हाई कोर्ट ने आरोपी को पूर्व-गिरफ्तारी जमानत देते समय यह ध्यान नहीं रखा कि चार्जशीट के बाद ट्रायल कोर्ट को निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए.

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बेंच ने कहा,

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"जमानत आदेश में यह स्पष्ट निर्देश नहीं हो सकता कि चार्जशीट जमा होने पर आरोपी को जेल में डालने के लिए सभी दबाव डालने वाले कदम उठाए जाएंगे."

पटना हाई कोर्ट ने अगस्त में दिए गए अपने आदेश में कहा था कि यदि चार्जशीट आरोपी के खिलाफ प्रस्तुत की जाती है, तो पूर्व-गिरफ्तारी जमानत का आदेश प्रभावहीन हो जाएगा और ट्रायल कोर्ट को आरोपी को जेल में डालने के सभी कदम उठाने होंगे. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि चार्जशीट जमा होने पर आरोपी को हिरासत में लेने की शर्त उचित नहीं है. उन्होंने तर्क किया कि ट्रायल कोर्ट को मामले की विवेचना करने और सुनवाई के आधार पर निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए.

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चार्जशीट में नाम आने पर होती गिरफ्तारी

सुप्रीम कोर्ट ने तर्क को स्वीकार करते हुए कहा, "हम अंतिम पैराग्राफ में दिए गए निर्देश को संशोधित करते हैं, जिसमें कहा गया है कि चूंकि चार्जशीट अब याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रस्तुत की गई है, उसे कानून के अनुसार जमानत के प्रश्न पर कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है."  सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह के भीतर संबंधित अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया है. इस अवधि के दौरान पहले से दिए गए  गिरफ्तारी से दिए गए अंतरिम संरक्षण को बढ़ाया है.