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क्या ASI संरक्षित स्मारक का Mosque के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है? हिंदू पक्ष की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने दी प्रतिक्रिया

कृष्णजन्म भूमि विवाद (पिक क्रेडिटANI)

Krishna Janmabhoomi Dispute: चीफ जस्टिस ने कहा कि ASI संरक्षित स्मारक क्या मस्जिद के तौर पर इस्तेमाल हो सकते है या नहीं, ये सवाल हमारे सामने पहले से पेंडिंग है. हम आगे इस पर विचार करेंगे.

Written By Satyam Kumar | Published : April 4, 2025 2:17 PM IST

आज श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के सामने लगी. सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से विष्णु शंकर जैन ने एक बार फिर इस दलील को दोहराया कि ASI संरक्षित स्मारक होने के चलते इसका इस्तेमाल मस्जिद के तौर पर नहीं हो सकता. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ASI संरक्षित स्मारक क्या मस्जिद के तौर पर इस्तेमाल हो सकते है या नहीं, ये सवाल हमारे सामने पहले से पेंडिंग है. हम आगे इस पर विचार करेंगे. कोर्ट ने कहा कि वो बाकी मामलों के साथ 8 अप्रैल को मस्जिद कमेटी की अर्जी पर सुनवाई करेगा.

असल में यह मामला 18 याचिकाएं देवता और हिंदू भक्तों द्वारा दायर की गई हैं, जो शाही इदगाह को हटाने की मांग कर रहे हैं. उनका दावा है कि यह स्थल वास्तव में भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है और यहां पहले एक मंदिर था. इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में हो रही है, जिसमें हिंदू पक्ष द्वारा ASI और भारत सरकार को जोड़ने के फैसले को सही ठहराया. लेकिन इस फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. आज इसी पर सुनवाई हुई है.

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हाई कोर्ट का फैसला प्रथम दृष्टतया सही: SC

सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि चूंकि मस्जिद समिति अपने बचाव में 1991 के वार्शिप ऑफ प्लेसेस एक्ट का सहारा ले रही है, इसलिए मूल याचिकाकर्ता (हिंदू पक्ष) ASI और भारत सरकार को पक्षकार बनाने का अधिकार रखते हैं. सीजेआई ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता है.

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शाही मस्जिद कमेटी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता तस्नीम अहमदी ने कहा कि हुजूर, यह एक नया मामला है. चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि यह एक नया मामला नहीं है, क्योंकि उनके द्वारा उठाए गए बचाव को चुनौती देने का अधिकार याचिकाकर्ताओं को है.

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क्या है मामला?

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमे हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए ASI और केंद्र सरकार को भी इस केस में पक्षकार बनाने की इजाजत दी थी. दरअसल हिंदू पक्ष ने हाई कोर्ट में दावा किया था कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद ASI संरक्षित स्मारक है. इसका इस्तेमाल मस्जिद के तौर पर नहीं हो सकता है. हिन्दू पक्ष का कहना था कि ASI संरक्षित स्मारक होने के चलते प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट इस इमारत पर लागू नहीं होता. इसके मद्देनजर उन्होंने हाई कोर्ट से मांग की थी कि इस मामले में ASI और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाए जाए. हाई कोर्ट ने 5 मार्च को दिए आदेश में इस मांग को स्वीकार कर लिया था. इस आदेश को मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.