महाभियोग प्रस्ताव के निर्देश पर रोक लगाने की मांग को लेकर जस्टिस वर्मा पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, इन-हाउस कमिटी के रिपोर्ट को दी चुनौती, जानें क्या दावा किया
जस्टिस यशवंत वर्मा अधिकारिक आवास पर कैश मिलने के मामले में इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी है. इसके साथ ही जस्टिस वर्मा ने 8 मई को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना की ओर से उन्हें पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति और पीएम को भेजी गई सिफारिश को भी चुनौती दी है. उन्होंने इस प्रस्ताव को असंवैधानिक करार दिया है. बताते दें कि यह मामला जस्टिस यशवंत वर्मा के अधिकारिक आवास से कैश मिलने के बाद से शुरू हुआ है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने पूर्व सीजेआई की सिफारिश के फैसले को चुनौती दिया है. इस ओर संसद भी महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है. मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है.
अपनी याचिका में जस्टिस यशवंत वर्मा ने जजों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए बनाई गई इन-हाउस प्रक्रिया को अनुचित ठहराते हुए तर्क दिया कि इन-हाउस कमेटी एक समानांतर, अतिरिक्त-संवैधानिक तंत्र बनाता है जो हाई कोर्ट के जजों को हटाने की शक्ति संसद में निहित करने वाले कानून से अलग है. जस्टिस वर्मा ने दावा किया कि आंतरिक जांच कमेटी में न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत दिए गए सुरक्षा उपाय नहीं हैं. याचिका में जस्टिस वर्मा ने यह भी दावा किया कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा याचिका की अभी लिस्टिंग नहीं हुई है. उम्मीद जताई जा रहे है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस पर सुनवाई करेगा.
यह मामला तब शुरू हुआ जब 14 मार्च को रात 11:35 बजे न्यायाधीश वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लग गई थी. इस मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशामक सेवा के प्रमुख के बयान भी लिए गए. इस विवाद के बाद कई कदम उठाए गए, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय द्वारा प्रारंभिक जांच और जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेना शामिल था, जिसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था. वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा ने पिछले कई मौके पर इस्तीफा देने से भी इंकार किया है.
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