Advertisement

AOR के आचरण से नाराज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने बिना शर्त माफी स्वीकार करने से किया इंकार

Justice Bela M Trivedi

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि यह मेरे लिए दुखद है कि करियर के अंत में मुझे इस तरह से कठोर कदम उठाने पड़ रहे हैं, लेकिन मैं इन गलतियों पर आंखें नहीं मूंद सकती. किसी को संस्थान की परवाह नहीं है.

Written By Satyam Kumar | Published : April 9, 2025 2:19 PM IST

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश कुमार शर्मा की बेंच ने आज दोबारा से सुनवाई की. पिछली सुनवाई में AOR के गायब रहने पर पीठ ने आपत्ति जताते हुए हाजिर होने को कहा था. अदालत को सूचित किया कि AOR अभी यात्रा थे, जिसे लेकर अदालत ने यात्रा का टिकट दिखाने को कहा. इसे लेकर वकीलों की एक भीड़ अदालत में जुट गई और पीठ के फैसले से आपत्ति जताई. वहीं, उस दिन सुनवाई टालते हुए अदालत ने संबंधित AOR से हलफनामा दायर कर जबाव तलब किया था, आज आगे उसी मामले में आगे सुनवाई हुई. इस बीच घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने अदालत से बिना शर्त माफी स्वीकार करने का अनुरोध किया और कहा कि वे नए अधिवक्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं ताकि ऐसी गलतियां दोहराई न जाए.

कोर्टरूम आर्गुमेंट

जस्टिस त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ एक आपराधिक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें पहले वकील पी. सोमा सुंदरम को तथ्यों के छिपाने के लिए फटकार लगाया था. वहीं, आज एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने हलफनामा देकर अपना जबाव रखा. जस्टिस ने हलफनामा पर गौर किया और उसे मानने से इंकार करते हुए कहा कि जबाव पूछे गए सवालों के उत्तर नहीं देते हैं, साथ ही संबंधित AOR की ओर से यात्रा का टिकट भी जमा नहीं किया गया है, जैसा कि उन्होंने दावा किया था.

Advertisement

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि यह मेरे लिए दुखद है कि करियर के अंत में मुझे इस तरह से कठोर कदम उठाने पड़ रहे हैं, लेकिन मैं इन गलतियों पर आंखें नहीं मूंद सकती. किसी को संस्थान की परवाह नहीं है. जस्टिस ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सिर्फ इसलिए कि वकील अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड हैं, उन्हें बिना किसी स्पष्टीकरण के माफी स्वीकार की जाएगी. जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में वकीलों के आचरण का स्तर बहुत गिर गया है. उन्होंने पिछले चार वर्षों में कई आदेश पारित किए, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ.

Also Read

More News

पिछली सुनवाई में, पीठ ने कहा था कि वकीलों ने प्राथमिक रूप से न्यायालय की अवमानना की है. हालांकि, एससीबीए और एससीएओआरए के कुछ प्रतिनिधियों ने इस पर आपत्ति जताया. साथ ही जब वकील ने बिना शर्त माफी मांगी, तो न्यायालय ने कहा कि वे इससे संतुष्ट नहीं हैं. पीठ ने वकीलों द्वारा प्रस्तुत हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह न्यायालय के पिछले आदेश के अनुसार नहीं था. दोनों वकीलों से यह स्पष्टीकरण मांगा गया कि दूसरी एसएलपी तोड़-मरोड़ कर पेश किए फैक्ट और गलत बयानों के आधार पर क्यों दायर किया गया.

Advertisement

ट्रैवल टिकट क्यों नहीं है?

जस्टिस बेला त्रिवेदी ने यह भी पूछा कि यात्रा टिकटों की पूरी जानकारी क्यों नहीं दी गई, यहां केवल वापसी का टिकट रखा गया है. आपके हलफनामे में कोई स्पष्टीकरण नहीं है. आप एक एओआर हैं और आपको बुनियादी तथ्यों को स्पष्ट करने में असमर्थ है. अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए यात्रा टिकटों की मांग की थी कि वकील का पिछले सुनवाई में अनुपस्थित होना उसके गांव की यात्रा के कारण था.

इस पर वकीलों के संघ ने अदालत से बिना शर्त माफी स्वीकार करने का अनुरोध किया. एक वरिष्ठ वकील ने बचाव करते हुए कहा कि कोई भी इस घटना का बचाव नहीं कर रहा है और एओआर के लिए यह एक सीख है, उन्होंने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा दोबारा न हो. हम प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएंगे ताकि वकील भविष्य में सही तरीके से कार्य कर सकें.

जस्टिस बेला ने कहा कि कोई भी संस्था के बारे में नहीं सोचता. क्या यह सही है कि हम कोर्ट पर दबाव डालें कि वह आदेश न दे? बार-बार आश्वासन दिए जाते हैं कि ठोस प्रस्ताव किए जाएंगे, लेकिन वर्षों से कुछ नहीं हुआ है.. उन्होंने पूछा कि क्या वकील को केवल इसलिए छोडा जाना चाहिए क्योंकि वे यहां प्रैक्टिस कर रहे हैं.

अदालत ने AOR के रवैये से जुड़े मामले मेंअपना फैसला सुरक्षित रखा है. वहीं, मुवक्किल के लिए गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए सरेंडर करने का आदेश सुनाया है.