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'अगर जांच में कोई तथ्य मिले, तो जमानत रद्द करा सकते हैं', प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को राहत देते हुए Supreme Court ने केन्द्र से कहा

Ali Khan Mahmudabad, Supreme Court

अशोका विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान के फेसबुक पोस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. उनकी ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि पोस्ट देशभक्ति से जुड़ा है, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या यह राजनीतिक बयान नहीं है.

Written By Satyam Kumar | Updated : May 21, 2025 12:40 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान मदहमूदाबाद को आपत्तिजनक पोस्ट मामले में जमानत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करने व जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रोफेसर के खिलाफ जांच करने के लिए SIT गठित करने के निर्देश दिए हैं.

आज सुबह सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की खंडपीठ ने अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान की याचिका पर सुनवाई शुरु की. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल अली खान महमूदाबाद की ओर से पेश हुए. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पोस्ट से नाराजगी जताते हुए कहा कि देश में उस समय मुश्किल वक्त था और क्या उस वक्त हमारे नागरिकों पर हमला नहीं किया जा रहा था. कपिल सिब्बल के जबाव ने दिया कि फेसबुक पोस्ट देशभक्ति से जुड़ा है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या वह राजनीतिक बयान नहीं लगता? आइये जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान और क्या कुछ हुआ...

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सुनवाई शुरू हुई. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, जो कि अली खान महमूदाबाद की ओर से पेश हो रहे हैं, प्रोफेसर के फेसबुक पोस्ट को पढ़ते हैं.

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सिब्बल- ये पोस्ट देश के खिलाफ न होकर, असल मे देशभक्ति का बयान है. जस्टिस सूर्यकांत - क्या ये राजनीतिक बयान नहीं लगता. भले ही हरेक को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन क्या इस तरह की बात कहने के लिए यह सही वक़्त था?

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जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि देश उस वक़्त मुश्किल में था. हमारे नागरिको पर हमला हुआ था. ऐसे वक्त पर इस तरह का बयान क्यों देना है! क्या इसके जरिये लोकप्रियता पाने की कोशिश है! वो पढ़े लिखे जानकार आदमी है. वो चाहते तो अपनी बात रखने के लिए इनसे बेहतर बसम्मानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे जिनके जरिये किसी का अपमान न हो. कपिल सिब्बल ने राहत की मांग करते हुए कहा कि बयान सैन्य बलों के अपमान का नहीं है. उसने अपना बयान जय हिंद के साथ खत्म किया. सिब्बल ने बयान का दूसरा हिस्सा पढा.

ASG एसवी राजू ने सवाल उठाया कि प्रोफेसर को राहत के लिए हाई कोर्ट जाना चाहिए था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ASG राजू कहा कि आप बताइए कि अपने बयान में वो महिला सैन्य अधिकारियों का अपमान कहां कर रहे है? हम इसलिए पूछ रहे है क्योंकि महिला आयोग की FIR में यही बात दर्ज की गई हैय ASG राजू ने पोस्ट में सोफिया कुरैशी को लेकर लिखी बात का जिक्र किया.

वहीं, SC ने कहा - अली खान के खिलाफ जांच पर रोक का कोई आधार नहीं बनता. कोर्ट ने अली ख़ान को अंतरिम ज़मानत दे दी. वहीं, जांच के लिए एसआईटी के गठन का आदेश दिया. इसके लिए कोर्ट ने डीजीपी हरियाणा से कहा कि वो तीन आईपीएस अधिकारियों की टीम गठित करें. कोर्ट ने शर्त लगाई कि अली खान अपनी विवादित पोस्ट को लेकर अभी आगे ऑनलाइन पोस्ट नहीं लिखेंगे और ना ही कोई बयान देंगे.

आगे कोर्ट ने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा है कि छात्र, प्रोफेसर भी उसके समर्थन में आ रहे है. वो अगर कुछ ऐसा करते ह तो कोर्ट उनसे निपटना भी जानता है. साथ ही अदालत ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर प्रोफेसर के खिलाफ जांच में कोई नए सबूत मिलते हैं तो वे उनकी जमानत रद्द कराने आ सकते हैं.