'शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाया, यह दावा शादीशुदा महिला कैसे कर सकती है?', इस रेप केस को सुन Supreme Court भी हैरान, जानें पूरा मामला
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के एक मामले को रद्द कर दिया है. इस मामले में चार साल के बच्चे की मां ने एक 25 वर्षीय छात्र (घटना के समय आरोपी की उम्र) पर शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया. कानूनन, महिला अपने पति से अलग थी लेकिन उसका तलाक का मामला ट्रायल कोर्ट में लंबित था. अदालत ने कहा कि यह सिलसिला 12 महीने से अधिक चला है, ऐसे में यह कहना संबंध, सहमति की जगह झूठे वादे के आधार पर बनाए गए थे, अनुचित दिखाई पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर शुरू में संबंध बनाने को लेकर धोखा देने का इरादा ना हो, तो आरोपी शख्स के खिलाफ शादी का झूठा दावा करने के आधार पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है. बताते चलें कि आवेदक (आरोपी) ने सुप्रीम कोर्ट में बंबई हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसके खिलाफ शादी के झूठे वादे के आधार पर FIR को खारिज करने से इनकार किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने कहा कि सहमति से संबंध का बिगड़ना या पार्टनरों का दूर होना राज्य की आपराधिक मशीनरी का उपयोग करने का आधार नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने यह जांच की कि क्या आरोप एक संज्ञेय अपराध बनाते हैं या यह मामला दुर्भावनापूर्ण तरीके से दायर किया गया था. जस्टिस शर्मा ने कहा कि शिकायतकर्ता पहले से विवाहित थी जब संबंध शुरू हुआ था और उसका खुलनामा (तलाक का दस्तावेज) बाद में तैयार किया गया था. इसलिए आरोपी का कथित विवाह का वादा कानूनी रूप से लागू नहीं होता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता की सहमति, जो कि IPC की धारा 90 के तहत परिभाषित है, को तथ्य की भ्रांति के तहत नहीं कहा जा सकता. साथ ही कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत भी नहीं है जो यह साबित करे कि आरोपी ने यौन संबंधों के लिए सहमति प्राप्त करने के लिए गलत तरीका इख्तियार किया.
सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के मामले को रद्द करते हुए कहा कि जांच में यह भी सामने आया कि खुलनामा 29.12.2022 को तैयार किया गया था, जबकि दोनों पहले से ही संबंध में थे और कथित घटना पहले ही हो चुकी थी, इसलिए यह अविश्वसनीय है कि शिकायतकर्ता ने किसी अन्य व्यक्ति के साथ विवाह में होते हुएआरोपी के साथ विवाह के आश्वासन पर शारीरिक संबंध बनाए होंगे. उक्त टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी शख्स को राहत देते हुए शादी के झूठे वादे पर बलात्कार करने का मामला रद्द कर दिया.
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