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थानों में लोगों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, पुलिस स्टेशन में CCTV नहीं होने पर राजस्थान सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट (सौजन्य से SC की ऑफिसियल वेबसाइट)

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में हो रही मौत की घटना को एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान में लिया था, जिसमें कहा गया था कि 2025 के पहले आठ महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 लोगों की जान चली गई, जिनमें से सात घटनाएं उदयपुर संभाग में हुईं.

Written By Satyam Kumar | Published : October 14, 2025 4:29 PM IST

पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे होने पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से नाराजगी जाहिर की है. राजस्थान में लगातार थाने में होती मौत घटनाएं पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार द्वारा दायर हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस थानों के पूछताछ कक्ष में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से यह भी पूछा कि पुलिस थानों के पूछताछ कक्ष में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगाए गए हैं? जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि थाने का पूछताछ कक्ष वह मुख्य स्थान है जहां सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए. पीठ ने कहा कि आपके हलफनामे के अनुसार, पूछताछ कक्ष में कोई कैमरा नहीं है, जो कि मुख्य स्थान है जहां कैमरे होने चाहिए.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने में लागत आएगी लेकिन यह मानवाधिकार का सवाल है. इसने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि वह किस प्रकार निगरानी तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखती है. पीठ थानों में सीसीटीवी की कमी से संबंधित एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने चार सितंबर को एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि 2025 के पहले आठ महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 लोगों की जान चली गई, जिनमें से सात घटनाएं उदयपुर संभाग में हुईं. शीर्ष अदालत ने 2018 में मानवाधिकारों के हनन पर रोक लगाने के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था. मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि किसी एजेंसी को निगरानी प्रक्रिया में शामिल क्यों नहीं किया जा सकता.

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इसने सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे की दलीलें भी सुनीं, जिन्हें एक अलग मामले में अदालत की सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया गया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2020 में एक आदेश पारित किया था. शीर्ष अदालत ने उस आदेश में केंद्र को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) सहित जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग डिवाइस लगाने का निर्देश दिया था. सीनियर एडवोकेट  दवे ने पीठ को बताया कि उन्होंने इस मामले में अद्यतन रिपोर्ट दाखिल कर दी है. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और अन्य राज्यों से न्याय मित्र द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 24 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.