गोधरा ट्रेन कांड में 58 लोगों की मौत हुई... गुजरात सरकार ने Supreme Court में आरोपी को बरी करने के फैसले का विरोध किया
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 2002 गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में एक दोषी की बरी करने की याचिका का बुधवार को विरोध किया और कहा कि उसने (दोषी ने) हिंसक भीड़ को उकसाया, जिसने भारत-विरोधी नारे लगाए. राज्य के वकील ने न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ के समक्ष दलील दी कि एक नेता (गोधरा नगरपालिका के पूर्व सदस्य अब्दुल रहमान धनतिया) द्वारा उकसाया जाना अलग स्तर पर है... हालांकि, वह हिंसक भीड़ का हिस्सा था, जो 'हिंदुस्तान मुर्दाबाद' और 'पाकिस्तान जिंदाबाद' जैसे नारे लगा रही थी और हमारे जैसे समाज में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.
आरोपी ने भीड़ को उकसाया: गुजरात सरकार
राज्य सरकार के वकील दोषी अब्दुल रहमान धनतिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े की दलीलों का विरोध कर रहे थे. हेगड़े ने कहा कि उनके मुवक्किल को बरी किया जाना चाहिए क्योंकि वह मामले में कथित बड़ी साजिश का हिस्सा नहीं था और केवल एक "हितधारक गवाह" ने उसकी पहचान की थी. वकील ने कुछ गवाहों की गवाही का हवाला दिया और कहा कि उनमें से कई सरकारी कर्मचारी थे, जो या तो अग्निशमन विभाग या राज्य पुलिस में कार्यरत थे और इसलिए घटनास्थल पर उनकी मौजूदगी को गलत नहीं ठहराया जा सकता.
उन्होंने कहा कि वे आधिकारिक ड्यूटी पर थे और उनकी मौजूदगी पर संदेह नहीं किया जा सकता. राज्य के वकील ने कहा कि धनतिया की पहचान हिंसक भीड़ को भड़काने वाले के रूप में की गई थी, जिसने पथराव किया और बाद में गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप 58 निर्दोष लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों सहित पीड़ितों को भून दिया गया. वकील ने कहा कि वर्तमान अपीलकर्ता सहित दोषियों का मकसद और अधिक मौतों को अंजाम देना था. अभियोजन पक्ष का वकील धनतिया की इस दलील का जवाब दे रहा था कि अपराध में उनकी व्यक्तिगत भूमिका स्थापित नहीं हुई है.
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गुजरात सरकार का कड़ा विरोध
हेगड़े ने कहा कि अभियोजन पक्ष के जिस गवाह ने घटनास्थल पर मौजूद आरोपियों में से एक के रूप में उसकी (धनतिया की) पहचान की थी, उसपर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि धनतिया नगर निकाय और मोटर वाहन विभाग का तत्कालीन सदस्य था और अभियोजन पक्ष के गवाह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई में उसकी भूमिका थी, जिसने मुकदमे के दौरान उसकी पहचान की थी. गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-छह कोच में आगजनी की घटना में 59 लोग मारे गए थे, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे.