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जब हम यहां बैठते हैं, तब हमारा कोई धर्म नहीं रह जाता... वक्फ संरचना को लेकर CJI Sanjiv Khanna ने केन्द्र की इन दलीलों से जताई आपत्ति

सीजेआई संजीव खन्ना

चीफ जस्टिस ने केन्द्र सरकार की दलीलों से आपत्ति जताते हुए कहा कि हम केवल फैसले के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. जब हम यहां बैठते हैं, तो हम किसी धर्म के मानने वाले नहीं रह जाते हैं. हम पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष हैं. हमारे लिए, एक पक्ष या दूसरा पक्ष समान है.

Written By Satyam Kumar | Published : April 17, 2025 12:11 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के समर्थन में केंद्र द्वारा पेश की गई उस दलील पर कड़ा संज्ञान लिया कि इस तर्क के अनुसार, हिंदू न्यायाधीशों की पीठ को वक्फ से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई नहीं करनी चाहिए. वक़्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में  73 याचिकाएं सुनवाई हो रही है( इनमे से ज़्यादातर याचिकाएं वो है जिनमे इस क़ानून में बदलाव को चुनौती दी गई है, वही कुछ याचिकाएं इसके समर्थन में है). मामला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच के सामने है. 73 याचिकाओं में से ज़्यादातर याचिकाए वो है, जिन्होंने नए क़ानून को चुनौती दी है।इनमे कांग्रेस, आरजेडी, एसपी, टीएमसी, AAP, डीएमके, AIMIM जैसे राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी समेत कई संगठनों और

मुस्लिम धार्मिक बोर्ड में हिंदूओं को शामिल करने का मामला

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के उन प्रावधानों पर सवाल कर रही थी जो केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति की अनुमति देते हैं.

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सीजेआई ने कहा,

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क्या आप ये सुझाव दे रहे हैं कि मुस्लिमों सहित अल्पसंख्यकों को भी हिंदू धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन करने वाले बोर्ड में शामिल किया जाना चाहिए? कृपया इसे खुलकर बताएं.’’

मामले में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रावधानों का बचाव करते हुए जोर दिया कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना सीमित है और इन निकायों की मुख्य रूप से मुस्लिम संरचना को प्रभावित नहीं करता है.

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हम धर्मनिरपेक्ष हैं, दोनो पार्टी हमारे लिए एक समान है: SC

SG मेहता ने यह भी कहा कि गैर-मुस्लिम भागीदारी पर आपत्ति तार्किक रूप से न्यायिक निष्पक्षता तक विस्तारित हो सकती है और उस तर्क से, पीठ स्वयं मामले की सुनवाई करने से अयोग्य हो जाएगी. SG मेहता ने कहा कि यदि वैधानिक बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की उपस्थिति पर आपत्ति स्वीकार कर ली जाती है, तो वर्तमान पीठ भी मामले की सुनवाई नहीं कर पाएगी. उन्होंने कहा कि तब यदि हम उस तर्क के अनुसार चलते हैं, तो माननीय (मौजूदा पीठ के न्यायाधीश) इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते.

चीफ जस्टिस ने कहा कि नहीं, माफ कीजिए मिस्टर मेहता, हम केवल न्याय निर्णय के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. जब हम यहां बैठते हैं, तो हम किसी धर्म के मानने वाले नहीं रह जाते हैं. हम पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष हैं. हमारे लिए, एक पक्ष या दूसरा पक्ष समान है.