छह महीने में छह लोगों को फांसी, नाबालिग लड़कियों के रेप-मर्डर मामले में Bengal Court का साफ संदेश
पश्चिम बंगाल की अदालतों ने पिछले छह महीनों में नाबालिग लड़कियों से बलात्कार और हत्या के मामलों में छह दोषियों को मौत की सजा सुनाई है. यह निर्णय राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों के प्रति सख्त संदेश भेजने के लिए महत्वपूर्ण है. इन मामलों में से अधिकांश को 'दुर्लभ' श्रेणी में रखा गया है, जो यह दर्शाता है कि ये अपराध कितने जघन्य और असामान्य हैं. इसके अलावा, एक व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए भी मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है. इससे राज्य में पिछले छह महीनों में मृत्युदंड पाने वालों की संख्या बढ़कर सात हो गई है.
ज्यादातर मामले रेप और मर्डर केस के
पश्चिम बंगाल में आखिरी न्यायिक फांसी दो दशक पहले हुई थी. दक्षिण कोलकाता के एक आवासीय इमारत के सुरक्षा गार्ड धनंजय चटर्जी को 16 वर्षीय छात्रा से बलात्कार और हत्या के मामले में 2004 में फांसी दी गई थी. हाल ही में, सितंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच इन जघन्य अपराधों में मौत की सजा सुनाई गई. पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की एक पॉक्सो अदालत ने मोहम्मद अब्बास को मौत की सजा सुनाई, जिसे अगस्त 2023 में स्कूल जा रही 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया. बलात्कार और हत्या के इन मामलों में आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.
आरजी कर मामले में फांसी की मांग जारी
साथ ही बंगाल के कक्षा आठ की 14 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध बलात्कार और हत्या का मामला भी इस सूची में शामिल नहीं है. किशोरी का क्षत-विक्षत शव इस वर्ष सात फरवरी को कोलकाता के न्यू टाउन इलाके में मिला था. पुलिस ने इस मामले में 22 वर्षीय ई-रिक्शा चालक को गिरफ्तार किया है, लेकिन अभी लंबित है. हालांकि, आरजी कर अस्पताल बलात्कार और हत्या मामले के दोषी संजय रॉय को मौत की सजा नहीं दी गई. कोलकाता की एक अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. हालांकि, उसे फांसी देने की मांग को लेकर दायर याचिका अभी कलकत्ता हाई कोर्ट में लंबित है.
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