हाई कोर्ट ने तीन साल से फैसला रिजर्व रखा है... आजीवन कारावास की सजा काट रहे चार दोषियों ने Supreme Court से मांगी राहत
आजीवन कारावास की सजा काट रहे चार दोषियों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर दावा किया कि झारखंड हाई कोर्ट ने 2022 में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर आदेश सुरक्षित रख लिया, लेकिन फैसला नहीं सुनाया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उनकी याचिका पर विचार करने पर सहमति जताते हुए हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से उन सभी मामलों के संबंध में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी है जिनमें फैसला सुरक्षित रखा गया था लेकिन दो महीने से अधिक समय तक फैसला नहीं सुनाया गया है.
एक कैदी 16 वर्षों से जेल में
चारों दोषियों का प्रतिनिधित्व कर रहीं अधिवक्ता फौजिया शकील ने दोषियों की जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि उनमें से एक पिछले 16 वर्षों से जेल में है. पीठ ने जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया और राज्य सरकार से जवाब मांगा. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता वर्तमान में रांची के होटवार में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद अपराधी है. उन्होंने रांची में झारखंड हाई कोर्ट के समक्ष अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए आपराधिक अपील दायर की थी, उनकी अपीलों पर सुनवाई हुई और 2022 में निर्णय सुरक्षित रखा गया. हाई कोर्ट ने दो से तीन साल बीत जाने के बावजूद अभी तक निर्णय नहीं सुनाया है.
2022 से रिजर्व है फैसला
दोषियों में से तीन को हत्या और एक को बलात्कार के आरोप में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. पिला पाहन, सोमा बदांग, सत्यनारायण साहू और धर्मेश उरांव द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि उनमें से प्रत्येक ने 11 साल से 16 साल के बीच की वास्तविक हिरासत अवधि पूरी कर ली है. दोषियों ने दावा किया कि भारत के चीफ जस्टिस और झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण जैसी कानूनी सहायता संस्थाओं को ज्ञापन देने के बावजूद इस संबंध में उनके प्रयासों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. दोषियों ने कहा कि चार याचिकाकर्ताओं के अलावा 10 अन्य दोषी भी इसी स्थिति में हैं. उनकी अपील पर सुनवाई हो चुकी है, लेकिन लगभग तीन साल से अधिक समय से फैसला नहीं सुनाया गया है.
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(खबर पीटीआई इनपुट से है)