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Chandani Chowk: अवैध निर्माण पर नगर-निगम निष्क्रिय क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने जांच CBI को सौंपने की मंशा जता दी

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह चांदनी चौक क्षेत्र में कथित अवैध निर्माण और इसे रोकने में दिल्ली नगर निगम की विफलता की सीबीआई जांच का आदेश दे सकता है.

Written By Satyam Kumar | Published : February 18, 2025 9:23 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संकेत दिया कि वह दिल्ली के व्यस्ततम चांदनी चौक क्षेत्र में कथित अवैध निर्माण और इसे रोकने में दिल्ली नगर निगम की विफलता की सीबीआई जांच का आदेश दे सकता है. शीर्ष अदालत दिल्ली हाई कोर्ट के दो आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चांदनी चौक क्षेत्र के फतेहपुरी स्थित बाग दीवार में अनधिकृत निर्माण को हटाने से संबंधित एक आदेश भी शामिल था, जिसका निपटारा एमसीडी के इस बयान पर किया गया था कि अवैध ढांचे हटा दिए गए हैं.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने चिंता व्यक्त की और शहर के वाणिज्यिक केंद्र में अनधिकृत निर्माणों को रोकने के लिए दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों की निष्क्रियता को दोषी ठहराया.

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जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 

"हम इन निर्माणों और बिल्डरों को इन संरचनाओं के निर्माण की अनुमति देने में अधिकारियों की संलिप्तता की सीबीआई जांच का आदेश देने के पक्ष में हैं। बिल्डर इन इमारतों का निर्माण करते हैं और आप अपनी आंखें बंद कर लेते हैं."

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि कथित अनधिकृत निर्माण को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार हटाया गया है, जहां यह मामला अब भी लंबित है.

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जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,

जब कोई व्यक्ति जनहित याचिका लेकर आता है, तो अचानक आप जाग जाते हैं... दुर्भाग्य से उच्च न्यायालय याचिकाकर्ताओं को कुछ कहने की अनुमति भी नहीं देता है और आपके बयान के आधार पर मामले को अचानक बंद कर देता है. हम सीबीआई को हर चीज की जांच करने का निर्देश देंगे.’’

पीठ ने कहा कि इस मामले में न केवल विशेषज्ञों की टीम द्वारा साइट का निरीक्षण करने की आवश्यकता है, बल्कि माप सहित नगर निगम के मामलों की भी जांच करने की आवश्यकता है, क्योंकि अवैध एवं अनधिकृत वाणिज्यिक निर्माणों को बाहरी कारणों से अनुमति दी गई थी. इस बारे में कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए कि गहन जांच का आदेश क्यों नहीं दिया जाए.

पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुने बिना आदेश पारित नहीं कर सकती और उनसे एक समिति के गठन के लिए आर्किटेक्ट और इंजीनियरों के नाम सुझाने को कहा, जो साइट पर जाकर निरीक्षण कर सकें. मामले की सुनवाई अब अगले सप्ताह होगी.