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'आपकी प्राथमिकता क्या है, मंत्री पद या आजादी?' सुप्रीम कोर्ट ने डीएमके नेता सेंथिल बालाजी से पूछा

Senthil Balaji

सुप्रीम कोर्ट ने डीएमके नेता वी. सेंथिल बालाजी को पद और स्वतंत्रता में से चुनाव करने को कहा है, चेतावनी दी है कि अगर वह तमिलनाडु के मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी.

Written By Satyam Kumar | Published : April 23, 2025 7:57 PM IST

कोर्टरूम आर्गुमेंट तक जाने से पहले बता दें कि तमिलनाडु नेता वीं सेंथिल बालाजी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी है. उन्हें इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, जमानत मिलने के बाद तमिलनाडु के डीएमके सरकार ने उन्हें दोबारा से मंत्री पद पर बहाल कर दिया, जिससे उन्हें PMLA का मुकदमा दर्ज होने पर इस्तीफा देना पड़ा था. इसलिए जब उनकी मंत्री पद को चुनौती देने से जुड़ी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दोबारा से लगी तो शीर्ष अदालत ने डीएमके नेता वी. सेंथिल बालाजी को पद और स्वतंत्रता (जमानत) में से चुनाव करने को कहा, चेतावनी दी है कि अगर वह तमिलनाडु के मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी.

पद औ स्वतंत्रता में एक को चुनना पड़ेगा: SC

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस बात पर आपत्ति जताई कि बालाजी ने जमानत मिलने के कुछ ही समय बाद मंत्री पद पर पुनः बहाल कर दिया गया. कोर्ट ने कहा, "आपको अपने पद और स्वतंत्रता के बीच चयन करना होगा." सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बालाजी को जमानत संविधान के अनुच्छेद 21 के संभावित उल्लंघन के आधार पर दी गई थी, न कि उनके मामले की merits पर. अदालत ने कहा, "आपको यह समझना चाहिए कि जमानत का मतलब यह नहीं है कि आप गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.आपके खिलाफ पहले से ही कई निष्कर्ष दर्ज किए जा चुके हैं, जो दर्शाते हैं कि आपने गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया है." अदालत की ओर से कहा गया कि यदि वह मंत्री बने रहे, तो गवाहों को प्रभावित करने की संभावना बढ़ जाएगी.

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पिछली सुनवाई के क्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी आरोप लगाया कि बालाजी ने इस मामले में गवाहों को प्रभावित किया है. सर्वोच्च न्यायालय ने इन आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया. अदालत ने यह भी कहा कि जमानत का मतलब गवाहों को प्रभावित करने की शक्ति नहीं है, चूँकि बालाजी फिर से मंत्री बन गए हैं, इसलिए अदालत को डर है कि वह फिर से गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें पद और जमानत में से एक चुनना होगा.

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बालाजी के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है. वहीं, तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है, तो मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनेता धन शोधन मामलों में जमानत के उदार न्यायशास्त्र का दुरुपयोग कर सकते हैं. अदालत ने कहा, "हमें यह चिंता है कि यदि आप मंत्री बने रहते हैं, तो क्या संकेत भेजा जाएगा?" इन टिप्पणियों के आधार पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को तय की है.

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मनी लॉन्ड्रिंग का मामला

वी सेंथिल बालाजी, जो करूर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, को 14 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया था. वह पहले एआईएडीएमके शासन के दौरान परिवहन मंत्री थे. उन्हें 29 सितंबर, 2024 को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. वहीं, ईडी ने जुलाई 2021 में धन शोधन का मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि बालाजी के कार्यकाल के दौरान राज्य परिवहन विभाग में भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्ट मुख्यालय में बदल दिया गया था. यह मामला तब सामने आया जब 2018 में तमिलनाडु पुलिस द्वारा तीन एफआईआर दर्ज की गई थीं.