RG KAR Case: हॉस्पीटल में भ्रष्टाचार करने के आरोप पर Calcutta HC ने 'संदीप घोष' को दिया चार्जशीट पढ़ने का समय
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में हाई कोर्ट ने आरोपी पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष सहित पांच आरोपियों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर चार्जशीट का स्टडी करने के लिए समय दिया है. अदालत ने मामले की सुनवाई 11 फरवरी तक टालते हुए अभियुक्तों के वकीलों यह चार्जशीट शनिवार तक केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय से प्राप्त करने के निर्देश दिए थे.
Chargesheet पढ़ने के लिए समय
कलकत्ता हाई कोर्ट में जस्टिस जॉयमाल्य बागची की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा कि मामले के पांच अभियुक्तों के वकील 8 और 9 फरवरी को सीबीआई के आर्थिक अपराध शाखा के कार्यालय में जाकर सभी चार्जशीट (आरोप पत्र) से संबंधित दस्तावेज़ एकत्र कर सकते हैं. अब मामले की सुनवाई 11 फरवरी को तय की गई है, जहां आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है.
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अभियुक्तों के वकीलों को सीबीआई कार्यालय से चार्जशीट से संबंधित दस्तावेज़ों के संग्रह के बारे में निचली अदालत को सूचित करना होगा. चार्जशीट में पांच व्यक्तियों का नाम है - पूर्व और विवादास्पद आर.जी. कर के प्रिंसिपल संदीप घोष, उनके सहायक एवं बॉडीगार्ड अफसर अली, निजी ठेकेदार बिप्लब सिन्हा और सुमन हज़रा, और जूनियर डॉक्टर आशीष पांडे. . अभी ये पांचों आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं.
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भ्रष्टाचार मामले में होना है 'फ्रेमिंग ऑफ चार्जेस'
आरजी कर हॉस्पीटल फंड में वित्तीय अनियममितताएं मामले में 6 फरवरी को आरोप तय करने की प्रक्रिया होनी थी, लेकिन इससे पहले, घोष और अन्य ने उच्च न्यायालय में अधिक समय की मांग करते हुए याचिका दायर की. हालांकि, इस मांग को 31 जनवरी के दिन जस्टिस तिर्थंकर घोष की एकल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया था. दोबारा से, जस्टिस घोष की पीठ में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 5 फरवरी को फिर से खारिज कर दिया गया.
अब 6 फरवरी के दिन अभियुक्तों के वकीलों ने जस्टिस बागची की अध्यक्षता वाली डिवीजन पीठ के पास सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी, पीठ ने निर्देश दिया कि अभियुक्तों को मामले में अध्ययन करने के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए.
पीठ ने यह भी कहा कि वे मामले की गंभीरता को कम करने के पक्ष में नहीं हैं और अभियुक्तों को आरोपों का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं देने का कोई कारण नहीं है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि अभियुक्तों को दस्तावेज़ों का अध्ययन करने के लिए अधिक समय देना यह नहीं है कि मामले की सुनवाई प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से लंबा किया जाएगा.
अब 11 फरवरी को मामले की सुनवाई होनी है.