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'ऑपरेशन सिंदूर' ट्रेडमार्क के लिए रिलायंस सहित पांच कंपनियों ने किया आवेदन, जानें क्या कहता ट्रेडमार्क अधिनियम?

Operation Sindoor

भारत में, सैन्य अभियानों के नाम, जैसे "ऑपरेशन सिंदूर", सरकार द्वारा स्वतः ही बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) के रूप में सुरक्षित नहीं हैं. इसलिए जब तक सरकार स्पष्ट रूप से दावा नहीं करती, तब तक ऐसे नाम निजी व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा ट्रेडमार्क दावों के लिए खुले रहते हैं.

Written By Satyam Kumar | Published : May 8, 2025 5:44 PM IST

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और पांच अन्य ने ऑपरेशन सिंदूर शब्द के ट्रेडमार्क के तौर पर पंजीकरण के लिए पेटेंट डिजाइन एंड ट्रेडमार्क महानियंत्रक से संपर्क किया है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, अब तक आरआईएल और पांच अन्य ने ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है. आरआईएल के अलावा अन्य चार आवेदकों - मुकेश चेतराम अग्रवाल, ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) कमल सिंह ओबेर, आलोक कोठारी, जयराज टी और उत्तम ने भी इस शब्द को पंजीकृत कराने की मांग की है.

क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा का ठिकाना मुरीदके भी शामिल थे. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 नागरिकों के नरसंहार के दो सप्ताह बाद ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सैन्य हमले किए गए. आरआईएल, ट्रेडमार्क श्रेणी 41 के अंतर्गत इस शब्द के लिए ट्रेडमार्क आवेदन दाखिल करने वाली पहली कंपनी थी, जिसमें शिक्षा और मनोरंजन जैसी सेवाएं शामिल हैं.

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ऑपरेशन सिंदूर ट्रेडमार्क

चार आवेदकों ने इसे नाइस क्लासिफिकेशन केटेगरी 41 के अंतर्गत पंजीकरण के लिए आवेदन किया है जिसमें शिक्षा, फिल्म निर्माण, लाइव कार्यक्रम और डिजिटल सामग्री वितरण जैसी सेवाएं शामिल हैं. ट्रेडमार्क के लिए किए गए आवेदन इस बात का संकेत देते हैं कि 'ऑपरेशन सिंदूर' जल्द ही एक फिल्म, वेब सीरीज या डॉक्यूमेंट्री का शीर्षक बन सकता है. ये केटेगरी अक्सर ओटीटी प्लेटफॉर्म, प्रोडक्शन हाउस, प्रसारकों और इवेंट कंपनियों द्वारा उपयोग की जाती है.

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क्या कहता है ट्रेडमार्क अधिनियम?

भारत में, सैन्य अभियानों के नाम, जैसे "ऑपरेशन सिंदूर", सरकार द्वारा स्वतः ही बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) के रूप में सुरक्षित नहीं हैं. इसलिए जब तक सरकार स्पष्ट रूप से दावा नहीं करती, तब तक ऐसे नाम निजी व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा ट्रेडमार्क दावों के लिए खुले रहते हैं. हालांकि, ट्रेड मार्क अधिनियम 1999, रजिस्ट्रार को ऐसे ट्रेडमार्क अस्वीकार करने का अधिकार देता है जो भ्रामक, आपत्तिजनक या सार्वजनिक नीति (Public Policy) के विरुद्ध हों.

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ट्रेड मार्क अधिनियम 1999, की धारा 9(2) और धारा 11 के तहत, रजिस्ट्रार किसी चिह्न को अस्वीकार कर सकता है यदि वह राष्ट्रीय रक्षा के साथ झूठा संबंध दर्शाता है या सार्वजनिक भावना को आहत कर सकता है. हालांकि, सरकार या अन्य इच्छुक पक्षों द्वारा चुनौती दिए जाने तक ऐसे शब्दों के पंजीकरण के खिलाफ वर्तमान में कोई स्वचालित प्रतिबंध नहीं है.