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सेना में नौकरी के दबाव से हो सकती है बीमारी.. जवान की कैंसर की मौत मामले में पंजाब एंड हरियाणा HC अहम फैसला, सुनाया ये फैसला

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कैंसर से मृत सैनिक के परिजनों को विशेष पारिवारिक पेंशन देने के फैसले को बरकरार रखते हुए केंद्र की याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि लंबे समय तक सैन्य सेवा के तनाव और दबाव के कारण यह बीमारी हुई.

Written By Satyam Kumar | Published : October 5, 2025 11:03 PM IST

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कैंसर की वजह से जान गंवाने वाले एक सैन्यकर्मी को फैमिली पेंशन देने के खिलाफ दायर केंद्र की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सैन्य सेवा में लंबे समय तक तनाव एवं दबाव के कारण यह बीमारी हो सकती है. अदालत ने याचिकाकर्ता के कर्मचारियों संबंधी नियमों का भी हवाला दिया, जिनमें कहा गया था कि धूम्रपान से होने वाले कैंसर को छोड़कर, बाकी सभी कैंसर सैन्य सेवा के कारण माने गए हैं.

जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (चंडीगढ़) के 2019 के एक आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं. न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया था कि कुमारी सलोचना वर्मा को उनके बेटे की मौत की तिथि से विशेष पारिवारिक पेंशन दी जाए.

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याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि वर्मा का बेटा रेट्रोपेरिटोनियल सर्कोमा’ (एक प्रकार का कैंसर) से पीड़ित था और 24 जून, 2009 को उसकी मौत हो गई थी. वकील ने कहा कि मेडिकल बोर्ड ने पाया कि यह बीमारी सैन्य सेवा के कारण न तो हुई और न ही इसके कारण बढ़ी. याचिकाकर्ता ने न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द किए जाने का अनुरोध किया था.

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अदालत ने पिछले महीने अपने आदेश में कहा था कि वर्मा के बेटे को 12 दिसंबर, 2003 को सेना में भर्ती किया गया था और उस समय उसकी चिकित्सकीय जांच की गई थी तथा वह हर प्रकार से स्वस्थ पाया गया था. अदालत ने धर्मवीर सिंह बनाम भारत संघ एवं अन्य, 2013 के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब कोई सैनिक भर्ती के समय स्वस्थ पाया जाता है और बाद में उसे कोई बीमारी हो जाती है तो ऐसे मामले में यह माना जा सकता है कि उसकी बीमारी सैन्य सेवा के कारण हुई या उसके कारण बढ़ी है.

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पीठ ने कहा कि वर्मा के बेटे को जो बीमारी थी, वह एक दिन में अचानक सामने नहीं आई; बल्कि यह एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है जिसमें शरीर की सामान्य कोशिकाएं घातक ट्यूमर कोशिकाओं में बदल जाती हैं और ऐसा रोगी के लंबे समय तक लगातार तनाव सहने के परिणामस्वरूप हो सकता है.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी संख्या एक (वर्मा) का बेटा छह साल तक सेना में सेवारत रहा और विभिन्न पदों पर उसकी तैनाती एवं उस दौरान उसके द्वारा झेले गए तनाव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि लंबे समय तक तनाव और दबाव के कारण उसे कैंसर हुआ.