One Nation-One Election: कैबिनेट की मंंजूरी मिलने के बाद आगे की राह क्या? जानें वन नेशन-वन इलेक्शन रिपोर्ट की मुख्य बातें
One Nation-One Election: एक देश-एक चुनाव मामले में रामनाथ कोविंद समिती रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद एक देश-एक चुनाव बिल को शीतकालीन सत्र में सदन के पटल पर रखा जाएगा. पीएम मोदी (PM Modi) साल 2014 से ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर जोर दे रहे हैं. अब कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को सदन में रखा जाएगा.
रामनाथ कोविंद कमेटी के मुख्य प्रस्ताव
रामनाथ कोविंद की कमेटी ने इस रिपोर्ट को बनाने के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पारित होने, एक देश-एक चुनाव को सुचारू रूप से चलाने और साथ ही इसकी शुरूआत कैसे कराई जाएगी, इस पर विशेष जोड़ दिया है.
कमेटी ने निम्नलिखित मुख्य सुझाव रखे हैं;
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- वन नेशन-वन इलेक्शन के पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाएंगे, उसके 100 दिनों के भीतर दूसरे फेज में लोकल बॉडी के चुनाव कराए जाएंगे.
- हंग इलेक्शन, अविश्वास प्रस्ताव लागू होने पर, बाकी के बचे कार्यकाल (पांच साल में से) के लिए, चुनाव कराए जा सकते हैं.
- एक साथ चुनाव कराने के लिए सभी विधानसभा चुनाव को अगले लोकसभा चुनाव तक बढ़ाया जा सकता और फिर एक साथ चुनाव कराया जाएगा.
- चुनाव आयोग को एक मजबूत तैयारी करनी पड़ेगी, जिसमें सिंगल वोटर लिस्ट व वोटर आई कार्ड बनाएगा. वहीं सुरक्षा बलों की तैनाती पर एडवांश प्लानिंग पर जोड़ देने की चर्चा है.
वन नेशन-वन इलेक्शन की राह आसान नहीं!
संविधान एक्सपर्ट के अनुसार, अगर 'One Nation One Election' होता है तो कम से कम पांच अनुच्छेदों में संशोधन करना होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने से सार्वजनिक धन की बचत होगी. प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा और सरकारी नीतियों का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा. साथ ही जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन करने की भी सिफारिश की ताकि एक कैलेंडर में पड़ने वाले सभी उपचुनाव एक साथ आयोजित किए जा सकें.
रिपोर्ट बनाने में राजनीतिक पार्टियों ने किया सहयोग
समिति ने एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर 62 पार्टियों से संपर्क किया गया था, जिसमें जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया. इस रिपोर्ट के अनुसार, कुल 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
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