भले ही प्ले स्टोर पर Google की बादशाहत हो, लेकिन वो दूसरे प्लेयर को मार्केट में जगह देने से मना नहीं कर सकता: NCLAT
फेयर प्ले पॉलिसी. सरकार और देश की कंपनियां, अब कंपनियां वैश्विक स्तर पर है. यूएस से आकर भारत में काम कर रही है. भले ही 1992 के बाद ग्लोबलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और लिबरलाइजेशन आया हो, फिर तकनीकी विकास का दौर आया. इस दौर में मार्केट में फेयर प्ले की पॉलिसी पर जोर था, चिंता थी कि केवल किसी देश में वहां की कंपनियों को व्यवसाय-पॉलिसी में क्यों प्राथमिकता दी जाए. सरकारें मान गई, विदेशि कंपनियों का देश में पैठ बढ़ा. फिर इंटरनेट और उस पर बने प्लेटफॉर्म की दुनिया आई. यहां, पर देश की कंपनियां की मौजूदगी ही नहीं थी. यह ऐसा समय रहा कि हमारे देश में यूएस की कंपनियां आकर इंटरनेट की तीसरी दुनिया बसा रही है, उस दुनिया के जरिए अपराध हो रहे हैं भारत के क्षेत्र में. जिम्मेदारी किसकी होगी और जबावदेही कैसे तय की जाएगी. मामला थोड़ा और आगे बढ़ा, अब यही विदेशी कंपनियां, जो कि इंटरनेट के क्षेत्र में दबदबा बना चुकी थी, जैसे कि गूगल. गूगल के पास प्ले स्टोर है. एप्पल के पास आईओएस. जहां पर लोग अपने एप बनाकर लोगों के इस्तेमाल के लिए रख सकते है. मान लो उसी से जुड़ा एप पहले से ही एप्पल या गूगल ने बना रखा हो तो क्या वह अपने ही प्लेटफॉर्म पर किसी व्यक्ति या संस्था के एप को अपने स्टोर पर जगह देगा. या नियमों को कड़ा करके उसके प्रजेंस को कम कर देगा. यहां पर दूसरा पहलू है कि 1992 के समय जो कंपनियां देश में फेयर प्ले पॉलिसी की मांग कर रही थी, अब वह अपने बादशाहत को बरकरार रखने के लिए तरह-तरह के नियम बना रही है. यह मामला इसी से जुड़ा है, कंपनी अपीलीय अदालत ने गूगल की सारी हेकड़ी उतारी है. आइये जानते हैं पूरा मामला...
क्या है मामला?
25 अक्टूबर, 2022 को, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल पर ₹936.44 करोड़ का जुर्माना लगाया था. यह जुर्माना गूगल की प्ले स्टोर नीतियों के संबंध में उसके प्रमुख पोजीशन के दुरुपयोग के लिए था. CCI ने गूगल को अनैतिक ट्रेड प्रैक्टिस से बचने के लिए भी निर्देश दिया था और प्रतिस्पर्धात्मक मुद्दों को हल करने के लिए विभिन्न उपाय करने की कहा था. गूगल और अल्फेट इंक ने इस निर्णय को एनसीएलएटी में चुनौती दी थी, जो CCI के आदेशों पर अपीलीय अधिकार क्षेत्र रखता है.एनसीएलएटी के आदेश ने गूगल के खिलाफ CCI के निर्णय को बरकरार रखा, लेकिन जुर्माने की राशि को घटाने का भी निर्णय लिया.
अपीलीय अदालत से Google को राहत
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा गूगल पर लगाए गए जुर्माने के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी -NCLAT) ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया. एनसीएलएटी ने गूगल को उसके प्ले स्टोर नीतियों के संबंध में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए दोषी ठहराया, लेकिन जुर्माने की राशि को घटाकर ₹216 करोड़ कर दिया.
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NCLAT की दो सदस्यीय पीठ, जिसमें जस्टिस अशोक भूषण और साथी सदस्य बरुन मित्रा शामिल थे, ने स्पष्ट किया कि गूगल ने अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग किया है और कुछ धाराओं में उल्लंघन सिद्ध नहीं हुआ, फिर भी जुर्माना लगाया जाना आवश्यक था. हालांकि, अपीलीय अदालत ने गूगल पर लगाया गया जुर्माना संशोधित किया है.
एनसीएलएटी ने स्पष्ट किया कि गूगल पर पहले लगाए गए ₹936.44 करोड़ के जुर्माने को घटाकर ₹216.69 करोड़ कर दिया है. यह राशि पिछले तीन वर्षों के संदर्भ में गूगल के राजस्व के आधार पर निर्धारित की गई है. एनसीएलएटी ने आदेश देते हुए कहा कि गूगल ने पहले से ही इस जुर्माने का 10 प्रतिशत जमा कर दिया है और शेष राशि 30 दिनों के भीतर जमा करनी होगी.