नाबालिग प्रेग्नेंट रेप पीड़िता ' प्रेमी आरोपी' के साथ नहीं रह सकती, उसे माता-पिता के घर भेजें... POCSO मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की दो टूक
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act, 2012) से जुड़े मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि अगर पीड़िता नाबालिग है, तो उसे माता-पिता के साथ रहना चाहिए. इस मामले में पीड़िता, गर्भवती है और आरोपी के साथ उसके घर पर रह रही थी. दरअसल, यह मामला नाबालिग रेप विक्टिम की गर्भावस्था समाप्त करने से जुड़ा है. इस गर्भपात कराने के आदेश को लेकर इस मामले को पॉक्सो अदालत के विशेष जज ने हाई कोर्ट के पास भेजा था, जिस पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया.
याचिका सुनवाई के लिए जस्टिस विशाल मिश्रा की पीठ के सामने लाई गई. जस्टिस ने कहा कि पीड़िता नाबालिग है, तो वह आरोपी के साथ नहीं रह सकती. ऐसे में उसे माता-पिता के घर ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए. बालिग होने के बाद ही वह ऐसा कर सकती है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आगे कहा कि यदि माता-पिता पीड़िता को अपने साथ रखने को तैयार नहीं हैं या पीड़िता खुद उनके साथ नहीं रहना चाहती है, तो उसे मौगंज/रेवा के नारी निकेतन में ट्रांसफर कर दिया जाए. साथ ही स्थानीय पुलिस अधीक्षक को इसकी सूचना दी जाएगी. हाई कोर्ट ने नारी निकेतन के अधीक्षक को भी पीड़िता की पूरी देखभाल और सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि पहली मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार वह 26 सप्ताह और 4 दिन की गर्भवती है.
पहली मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता का हीमोग्लोबिन 5.3 था. कम हीमोग्लोबिन होने की वजह से उसका गर्भपात नहीं कराया जा सकता है. 15 जुलाई को हाई कोर्ट ने दोबारा से मेडिकल रिपोर्ट मांगी थी. जब दोबारा से अधिकारी जांच करने के लिए गए तो पीड़िता ने जाने से इनकार कर दिया और आरोपी से प्रेम करने तथा गर्भपात न कराने की बात कही. गर्भपात के लिए पीड़िता की रजामंदी न देख हाई कोर्ट ने गर्भावस्था समाप्त करने के आदेश देने से इंकार कर दिया.
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