Kolkata Doctor Case Highlights: डॉक्टरों से ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध, SC में दूसरे दिन की सुनवाई पूरी, अब 5 सितंबर को बैठेगी बेंच
kolkata Doctor Rape-Murder Case: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ आज, दूसरे दिन, कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस की सुनवाई कर रही है. आज की सुनवाई में इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर बहस होने के आसार हैं, सबसे पहले कि सीबीआई ने अपनी जांच में अब तक क्या पता लगा पाई है यानि सीबीआई को अब तक की हुई जांच की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देना है. दूसरा, प्रिसिंपल ने मामले को सुसाइड साबित करने की कोशिश क्यों की? कॉलेज प्रशासन ने शिकायत क्यों दर्ज नहीं कराई? उसके बाद पीड़िता के शव को उसके माता-पिता को क्यों देखने नहीं दिया गया. साथ ही घटना के तीन घंटे के बाद प्राथमिकी (FIR) क्यों दर्ज की गई? इसके अलावे सुप्रीम कोर्ट आज अन्य मेडिकल छात्रों के शिकायतों को भी सुनेंगे, जो इस डॉक्टरों की समस्या से जुड़े हैं.
पिछली सुनवाई में क्या हुआ? FIR तीन घंटे बाद क्यों दर्ज की गई?
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ इस मामले को सुन रही थी. पीठ में जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं. बहस के दौरान घटना को लेकर चर्चा उठी कि पुलिस ने कैसे कार्रवाई की? पीड़िता के शव को माता-पिता को क्यों नहीं देखने दिया गया. गोल-मटोल जवाब मिलने पर जस्टिस जेबी पारदीवाला ने नाराजगी जाहिर की.
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पूछा: एफआईआर कितने बजे दर्ज की गई थी?
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राज्य की ओर से मौजूद सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा: रात साढ़े ग्यारह बजे के करीब
सीजेआई: शव को अंतिम संस्कार के लिए कब सौंपा गया?
एसजी: रात करीब 8:30 बजे.
सीजेआई: तो एफआईआर रात 11:45 बजे है और वो भी अंतिम संस्कार के 3 घंटे बाद.
यहां अदालत ने कॉलेज प्रशासन की ओर कार्रवाई को लेकर जवाब की मांग की. उन्होंने कहा कि घटना पर अस्पताल प्रशासन ने शिकायत नहीं दर्ज कराई है, प्रिसिंपल ने घटना को सुसाइड दिखाने की कोशिश की.
आरजी कर कॉलेज के प्रिंसिपल पर बड़े आरोप, डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने किया खुलासा
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट अख्तर अली ने ANI को बताया कि संदीप घोष कथित तौर पर बायोमेडिकल वेस्ट, शवों को अवैध तरीके से संभालने, छात्रों को फेल करने और रिश्वत मांगने, अनावश्यक टेंडर देने और अवैध स्टॉल कियोस्क चलाने जैसे घोटालों में शामिल हैं.
पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने आगे बताया कि आज मैंने हाईकोर्ट में एक मामला दर्ज किया है, एक आपराधिक मामला, वह मामला दर्ज हो गया है. मैंने अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट से भी अपील की है क्योंकि मुझे भी धमकियां मिल रही हैं. और यह एक बहुत बड़ा घोटाला है. संदीप घोष का एक बहुत बड़ा गठजोड़ है जिसका मैं पर्दाफाश करना चाहता हूं."
"बायोमेडिकल वेस्ट, शव, छात्रों को फेल करना, उनसे पैसे लेकर अवैध स्टॉल कियोस्क देना, अनावश्यक टेंडर देना आदि कई घोटाले हैं. ऐसे कई नियम हैं और शव भी उनमें से एक है. इसलिए मैं चाहता हूं कि इसकी उच्च स्तरीय जांच हो और उसे दंडित किया जाए और इस रैकेट का पर्दाफाश किया जाए.
लाइव अपडेट
5 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में उपरोक्त निर्देश जारी करते हुए मामले की सुनवाई 5 सितंबर को करने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों की सुरक्षा पर किसी तरह का निर्देश देने से मना कर दिया है.
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DME): डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हैं.
सीजेआई: आप कब से विरोध कर रहे हैं?
DME: घटना के दिन से.
सीजेआई: तो 13 दिन से एम्स के डॉक्टर काम नहीं कर रहे हैं, कृपया काम पर लग जाइए. हमने यह सुनिश्चित किया है कि आज के आदेश की तारीख के बाद कोई विरोध प्रदर्शन न हो तो कोई कठोर कार्रवाई न की जाए.
सीजेआई: जस्टिस और मेडिकल हड़ताल पर नहीं जा सकते. क्या हम सुप्रीम कोर्ट के बाहर जाकर बैठ सकते हैं?
एसजी मेहता: राज्य के एक मौजूदा मंत्री, जब वे कहते हैं कि ममता बनर्जी की ओर इशारा करने वाली उंगलियां काट दी जाएंगी.
सिब्बल: ओह हाँ और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा है कि गोलियां चलाई जाएंगी.
सीजेआई: कृपया इसका राजनीतिक बहस का मुद्दा ना बनाएं. पार्टियों को समझना होगा. कानून अपना काम करेगा और हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कानून अपना काम करे. दूसरा, हम डॉक्टरों की सुरक्षा और कल्याण के बारे में भी चिंतित हैं. भविष्य के लिए, हम इसे संस्थागत बनाना चाहते हैं. हम केवल दिशा-निर्देश नहीं बनाने जा रहे हैं, हम लागू करने योग्य निर्देश पारित करने जा रहे हैं, ताकि टास्क फोर्स की सिफारिशें राज्य सरकारों और अस्पतालों द्वारा केंद्र सरकार के अधिकार के तहत लागू की जा सकें.
वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी: यदि डॉक्टरों को विरोध से बचाया जा सकता है,
सीजेआई: डॉक्टरों को काम पर वापस आने दें और फिर हमें बताएं.
आदेश: डॉक्टरों ने यह आशंका व्यक्त की है कि उनमें से कुछ के खिलाफ अतीत में हुए विरोध प्रदर्शनों के संबंध में कार्रवाई की जा रही है. हमें आश्वासन दिया गया है कि डॉक्टर काम पर वापस लौट आएंगे. और आज के आदेश की तारीख के बाद काम पर वापस आने के बाद डॉक्टरों के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. आज के आदेश की तारीख से पहले हुए किसी भी विरोध प्रदर्शन के लिए काम पर वापस आने के बाद डॉक्टरों के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
CJI: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य चिकित्सा संस्थानों में हिंसा की किसी भी आशंका को रोक सकें. SG ने कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में CISF को तैनात किया गया है.
सीजेआई: सिब्बल ने कहा कि इस न्यायालय ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि राज्य अपनी शक्ति का वैधानिक रूप से उपयोग नहीं कर सकता. इस न्यायालय ने राज्य को कानून द्वारा सौंपी गई वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने से नहीं रोका है, लेकिन हम स्पष्ट रूप से पुष्टि करते हैं कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में बाधा नहीं डाली जाएगी और राज्य आरजी कर घटना के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा.
मुख्य न्यायाधीश: हम केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को मंत्रालय की वेबसाइट पर एक पोर्टल खोलने का निर्देश देते हैं, जहां सभी डॉक्टर, नर्स, इंटर्न,आदि शेयरहोल्डर्स समिति के सामने अपने सुझाव रख सकें.
सीजेआई: डॉक्टरों और अन्य शेयरहोल्डर्स की ओर से कई वकीलों ने भाग लिया. इससे पहले, एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) का गठन करते समय, यह निर्णय लिया गया था कि एनटीएफ सभी शेयरहोल्डर्स की राय पर विचार करेगा और हम आशा और विश्वास करते हैं कि प्रभावित होने वाले सभी शेयरहोल्डर्स और चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षित कार्यस्थल बनाए रखने के लिए जिम्मेदार लोगों की बात सुनी जाएगी. वकीलों ने कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए हैं जैसे कि संकट कॉल प्रणाली को संस्थागत बनाना, संस्थागत एफआईआर दर्ज करना और मुआवजा संकट निधि का गठन करना. एनटीएफ को इन सभी पर विचार करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाती है.
सीजेआई: हमें सीबीआई और कोलकाता पुलिस की जांच रिपोर्ट मिल गई है. कोलकाता पुलिस विरोध प्रदर्शन के बाद छात्रावास में हुई तोड़फोड़ की जांच कर रही है. रिकॉर्ड से पता चलता है कि आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का अनुरोध एसीजेएम सियालदह को सौंपा गया है और यह प्रक्रिया में है. एसीजेएम सियालदह 23 अगस्त, 2024 को शाम 5 बजे से पहले इस आवेदन पर आदेश पारित करेंगे.