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खुला को लेकर तेलंगाना हाई कोर्ट अहम फैसला, मुस्लिम पत्नी को तलाक देने का पूरा हक, पति की सहमति जरूरी नहीं!

सुनवाई के दौरान तेलंगाना हाई कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को मुफ्ती से प्राप्त 'खुलानामा' को मानना अनिवार्य नहीं है, यह केवल सलाह के तौर पर है.

Written By Satyam Kumar | Published : June 26, 2025 11:30 AM IST

मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ी खबर है. खुला (Khula) को लेकर तेलंगाना हाई कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है. मद्रास हाई कोर्ट इस मामले में यह विचार कर रहा था कि क्या खुला के तहत तलाक लेने के लिए मुस्लिम महिलाओं को अपने पति के इजाजत जरूरत होगी या नही? बता दें कि इस्लाम में खुला कानून के तहत मुस्लिम महिलाएं अपने पति से तलाक ले सकती है.

तेलंगाना हाई कोर्ट,  मुस्लिम शख्स के अपील को सुन रहा था. इस मामले में पति ने अपनी पत्नी के खुला के तहत लिए तलाक से आपत्ति जताई थी. साथ ही उसे जारी किए गए तलाक सर्टिफिकेट को रद्द करने का मांग किया था. तेलंगाना हाई कोर्ट में जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य और जस्टिस बीआर मधुसूदन राव की खंडपीठ ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को तलाक लेने के लिए अपने पति की इजाजत की जरूरत नहीं है. साथ ही पत्नी को मुफ्ती से खुलानामा को मानना अनिवार्य नहीं है. खुलनामा में मुफ्ती की राय सलाह के तौर पर दी जाती है, इसे मानना अनिवार्य नहीं है. अदालत ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि कुरान में इस बात का जिक्र का नहीं है कि अगर मुस्लिम पति अपने पत्नी का तलाक स्वीकार नहीं करे तो आगे क्या किया जाए. खुला कानून के अनुसार पत्नी के तलाक मांगने पर यह तुरंत प्रभावी हो जाता है. इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने पति की अपील को मानने से इंकार कर दिया.

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