क्या रिजर्व फॉरेस्ट में फिल्म शूटिंग की इजाजत दी जा सकती है? केरल हाई कोर्ट करेगी विचार
क्या रिजर्व फॉरेस्ट में फिल्म की शूटिंग की इजाजत दी जा सकती है? केरल हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच इस बात पर विचार करेगी. यह याचिका पार्थकोची रिजर्व फॉरेस्ट में मलयालम फिल्म उंडा की शूटिंग से जुड़ा है, जिसे लेकर हाई कोर्ट में दावा किया गया है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान जंगल की फ्लोरा और फौना को काफी नुकसान पहुंचाया गया है. वर्तमान में यह मामला हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के पास है, इससे पहले सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता के दावों को सही नहीं पाते खारिज कर दिया था. आइये जानते हैं पूरा मामला...
केरल हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस बसंत बालाजी शामिल है, इस मामले पर विचार करेगी कि क्या रिजर्व फॉरेस्ट में फिल्म शूटिंग की इजाजत दी जा सकती है. अदालत ने पहली सुनवाई में इस मामले में एक एमिकस क्यूरिए मनु व्यासन पीटर नियुक्त किया है. वहीं, आगे की सुनवाई के लिए मामले को 23 जून के लिए स्थगित किया है.
बता दें कि यह याचिका एंजेल्स नायर, एनिमल लीगल फोर्स नामक एनजीओ के जनरल सेक्रेटरी ने दायर की है. उन्होंने दावा किया कि फिल्म शूटिंग के लिए पार्थकोची रिजर्व फॉरेस्ट के फ्लोरा एंड फौना को बहुत नुकसान पहुंचाया गया है. इस मलयालम फिल्म की शूटिंग के दौरान जंगल के बीचों लाल मिट्टी बिछाई गई है जिससे यह जंगल छत्तीसगढ़ के जंगलों जैसा दिखे. साथ ही इस जंगल में अवैध रूप से एक सड़क भी बनाया गया है.
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याचिका में यह भी दावा किया गया कि जब वह याचिका लेकर हाई कोर्ट में आया, तब जंगल फिल्म टीम द्वारा फैलाए गए कूड़े-कचरे, प्लास्टिक बॉटल को साफ किया गया है. वहीं, सुनवाई के वक्त हाई कोर्ट को यह सूचित किया गया कि रिजर्व फॉरेस्ट में शूटिंग उचित परमिशन के बाद किया गया है. मामले की पहले सुनवाई कर रहे सिंगल जज बेंच ने इस मामले की मामले की जांच के लिए 4-सदस्यीय आयोग का गठन किया. इस आयोग ने फैसला सुनाया कि फॉरेस्ट को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. रिपोर्ट के आधार पर सिंगल जज ने याचिका खारिज कर दी. अब इस फैसले को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के पास चुनौती दी गई है.