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फिल्म का नाम बदलने का ये निर्देश कैसा? CBFC के सुझाव से केरल हाई कोर्ट ने जताई हैरानी, मांगा जवाब

Kerala HC

केरल हाई कोर्ट ने CBFC के सुझावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि फिल्म में 'जानकी' नाम किस प्रकार किसी धार्मिक या अन्य समूह के लिए अपमानजनक है और इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता.

Written By Satyam Kumar | Published : July 1, 2025 12:19 PM IST

केरल हाई कोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के सुरेश गोपी अभिनीत मलयालम फिल्म 'जानकी बनाम केरल राज्य' के टाइटल में जानकी’ नाम बदलने पर जोर देने पर सवाल उठाया. जस्टिस एन नागरेश ने कहा कि बोर्ड की यह दलील प्रथम दृष्टया अव्यावहारिक प्रतीत होती है कि फिल्म का नाम बदलने को कहना, प्रमाणन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है. बता दें कि इस याचिका में फिल्म के टाइटल और कहानी में इस्तेमाल जानकी नाम हटाने या बदलने के सीबीएफसी की पुनरीक्षण समिति के निर्देश को चुनौती दी गई है.

निर्माताओं की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने पूछा कि यह किसी नस्ली, धार्मिक या अन्य समूह के लिए अपमानजनक कैसे है? नाम का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता? मामले को अनिश्चित काल के लिए स्थगित नहीं किया जा सकता.

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हाई कोर्ट ने कहा कि फिल्म में जानकी का किरदार आरोपी नहीं है. हाई कोर्ट ने कहा कि वह (जानकी का किरदार) पीड़िता है. वह न्याय के लिए लड़ने वाली नायिका है. क्या आप फिल्म निर्माताओं को निर्देश दे रहे हैं...? समिति का यह निर्देश फिल्म को सेंसर प्रमाणपत्र देने की शर्त के रूप में आया है. हाई कोर्ट ने कहा कि भारत जैसे देश में, जहां 80 फीसदी से अधिक लोगों के नाम धर्म से प्रेरित होते हैं, जानकी नाम के इस्तेमाल में कुछ भी असामान्य या आपत्तिजनक नहीं है.

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हाई कोर्ट ने पूछा,

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अहमद, रमन, कृष्णन जैसे नाम धार्मिक पहचान पर आधारित हैं. 'जानकी' किस तरह अलग है? इस नाम के इस्तेमाल पर आपत्ति क्यों जताई जा रही है?’’

उसने सवाल किया कि क्या सीबीएफसी को यह सुझाव देने का अधिकार है कि कोई फिल्म निर्माता अपने पात्रों के लिए किस नाम का इस्तेमाल कर सकता है.

जस्टिस नागरेश ने पूछा,

क्या किसी ने 'जानकी' नाम को लेकर शिकायत की है? किसकी भावनाएं आहत हो रही हैं? क्या वास्तव में किसी ने आपत्ति जताई है?’’

उन्होंने कहा कि फिल्म का टीजर तीन महीने पहले ही बिना किसी विवाद के रिलीज किया जा चुका है. सार्वजनिक व्यवस्था के लिए अपमानजनक या हानिकारक दृश्यों या भाषा के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देने वाले सरकारी परिपत्र का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि जानकी’ नाम ऐसी श्रेणी में नहीं आता है.

हाई कोर्ट ने पूछा,

क्या अब हम कलाकारों को यह बताएंगे कि उन्हें क्या नाम रखना चाहिए?’’

जस्टिस नागरेश ने फिल्म में बलात्कार पीड़िता का नाम जानकी रखने के फिल्म निर्माताओं के फैसले की भी सराहना की और कहा कि इसका प्रतीकात्मक अर्थ है. अदालत ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया कि वह इस बारे में विशिष्ट और विस्तृत स्पष्टीकरण दे कि नाम क्यों बदला जाना चाहिए. जस्टिस नागरेश ने अपने मौखिक आदेश में कहा कि आपको स्पष्ट रूप से जवाब देना होगा कि 'जानकी' नाम का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि कानूनी प्रक्रिया को अनिश्चितकाल तक विलंबित नहीं किया जा सकता. मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी.

प्रवीण नारायणन के निर्देशन में बनी 'जानकी बनाम केरल राज्य' में अनुपमा परमेश्वरन भी मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म कथित तौर पर यौन उत्पीड़न की शिकार जानकी नामक महिला की राज्य के खिलाफ कानूनी लड़ाई के इर्द-गिर्द घूमती है. सूत्रों के मुताबिक, फिल्म को यह कहते हुए प्रदर्शित करने की मंजूरी नहीं दी गई कि देवी सीता का नाम 'जानकी' ऐसे किरदार के चित्रण के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

(खबर पीटीआई एजेंसी इनपुट से है)