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जजों की नियुक्ति पर रोक लगा दें? पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने CJI को चिट्ठी लिख की ये मांग

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पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने चीफ जस्टिस याह्या अफरीदी से अनुरोध किया कि 26वें संविधान संशोधन का समाधान होने तक नई न्यायिक नियुक्तियों को स्थगित कर दिया जाए.

Written By Satyam Kumar | Published : February 8, 2025 1:32 PM IST

Judicial Appointments in Pakistan: पाकिस्तान के चार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश याह्या अफरीदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें नए न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी करने की अपील की गई है. यह अपील 26वें संवैधानिक संशोधन को चुनौती दी गई है, जिसे पिछले वर्ष पारित किया गया था. यह संशोधन सरकार को मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति में अधिक अधिकार देने के लिए किया गया था.

जजों की नियुक्ति पर रोक

संशोधन के बाद की नियुक्तियों पर आरोप लगे हैं कि इससे उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट का 'पैकिंग' किया गया है. यह संशोधन सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी, लेकिन अभी तक इसके भविष्य पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. न्यायाधीशों ने इस पत्र में यह भी उल्लेख किया कि संवैधानिक बेंच को पूर्ण न्यायालय में विस्तारित किया जाना चाहिए.

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पत्र में न्यायाधीशों ने न्यायिक नियुक्तियों के संभावित जटिलताओं पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि यदि नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है, तो इससे पूर्ण न्यायालय के गठन में विवाद उत्पन्न हो सकता है. इसके अलावा, हाल ही में तीन न्यायाधीशों को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया था, जिससे उन्हें संविधान के अनुसार फिर से शपथ लेने की आवश्यकता पड़ी.

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जजों ने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि संवैधानिक संशोधन मामले को पूर्ण न्यायालय द्वारा सुना जाना चाहिए ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पहले से ही देरी हो चुकी है और अगली सुनवाई से पहले किसी भी जल्दबाजी में नियुक्तियों से बचना चाहिए.

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जजों के ट्रांसफर को लेकर विवाद

इस पत्र में यह भी बताया गया कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में तीन न्यायाधीशों का स्थानांतरण पर पहले ही एक बड़ा विवाद हो चुका है. एक न्यायाधीश, जो लाहौर उच्च न्यायालय से स्थानांतरित हुए थे, अब मुख्य न्यायाधीश के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश बन गए हैं. प्रभावित न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है, लेकिन अभी तक इस स्थिति को सुधारने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

(खबर PTI इनपुट के आधार पर है)