पूर्व TMC मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक के CA भी शामिल, बंगाल राशन वितरण घोटाले में ED ने पांचवी चार्जशीट में किया खुलासा
West Bengal PDS Scam: सोमवार यानि की आज बंगाल राशन वितरण घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशायल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पीएमएलए कोर्ट (PMLA Court) में पांचवी चार्जशीट दायर की है. सूत्रों के अनुसार, नई पूरक चार्जशीट में ईडी ने पूर्व राज्य खाद्य और आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक के व्यक्तिगत चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) संतंतु भट्टाचार्य का नाम शामिल किया है. मलिक को दो साल पहले ईडी अधिकारियों द्वारा रेशन वितरण मामले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, पिछले महीने उन्हें विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा जमानत पर रिहा किया गया है.
पांचवी चार्जशीट में पूर्व टीएमसी मंत्री के सीए का नाम
ईडी अधिकारियों ने पहले दावा किया था कि भट्टाचार्य पूर्व मंत्री के खातों का प्रबंधन करते समय मुख्य रूप से लेखांकन में धांधली के लिए जिम्मेदार थे. नई चार्जशीट में जांच अधिकारियों ने मामले के विवरण प्रदान किए हैं. पांचवीं पूरक चार्जशीट में ईडी ने दो अन्य व्यक्तियों, सुभ्रत घोष और हितेश चंदक का नाम भी शामिल किया है, जो चावल मिल के मालिक हैं. सूत्रों ने कहा कि नई चार्जशीट में ईडी अधिकारियों ने यह विस्तार से बताया है कि राशन वितरण मामले में अवैध तरीके से अर्जित धन कैसे उन व्यक्तियों के बैंक खातों के माध्यम से डायवर्ट किया गया.
सहकारी समिति के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई
जांच को लेकर इस महीने की शुरुआत में, ईडी अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल में श्यामपुर और जगतबल्लवपुर, हावड़ा जिले और दक्षिण 24 परगना जिले के संतोषपुर में राशन वितरण मामले के संबंध में कई स्थानों पर छापेमारी और सर्च ऑपरेशन चलाए. तीन जगहों में से एक एक स्थानीय व्यवसायी का निवास है, जो किसानों से खाद्यान्न खरीदने वाली सहकारी समिति का प्रभारी है. जांच के दौरान, ईडी अधिकारियों ने कई सहकारी समितियों की जांच शुरू की है, जो इसके माध्यम से दोतरफा लाभ कमाती थीं. पहला तरीका किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर अनाज खरीद कर ये सहकारी समितियां किसानों से खरीदे गए अनाज के एक हिस्से को खुले बाजार में प्रीमियम दरों पर बेचती थीं, जबकि इसे राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरण के लिए भेजा जाना चाहिए था. ED ने दावा किया कि इस गतिविधि ने ना केवल किसानों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विश्वसनीयता को भी प्रभावित किया है.
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