'ED मैटर में कौन-सी बेल होती है' मामले में जिला अदालत ने केस ट्रांसफर का फैसला पलटा
ED Matters Main Kaun Si Bail Hoti Hai: दिल्ली कोर्ट ने 'ED मैटर में कौन सी बेल होती है' कहने वाले जज से केस ट्रांसफर के फैसले को वापस ले लिया है. जिला अदालत का ये फैसला ED की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें जांच एजेंसी ने केस ट्रांसफर के फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी किया था कि किसी मामले में केस ट्रांसफर करने के मामले में जज की राय भी सुनी जानी चाहिए. बता दें, यह मामला भूषण पावर एंड स्टील मनी लान्ड्रिंग केस से जुड़ा है, जिसमें आरोपी ने 'ED के मैटर में कौन-सी बेल होती है' कहने को लेकर जज के ऊपर पूर्वाग्रह से प्रेरित होने का आरोप लगाया था. कथित तौर पर आरोप लगने के बाद 'जज' के पास से मामले की सुनवाई को ट्रांसफर कर दिया गया था.
जिला अदालत ने केस ट्रांसफर का फैसला पलटा
राउज एवेन्यू कोर्ट के चीफ जिला व सेशन जज अंजू बजाज चंदना ने इस फैसले को पलट दिया है. चीफ जज ने फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 28 मई के दिन दिए गए फैसले का हवाला दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि कथित टिप्पणी के आरोप लगाने से जज को पूर्वाग्रह से प्रेरित से नहीं माना जा सकता है. चीफ जिला जज ने स्पष्ट किया कि केवल टिप्पणी के आधार पर मनी भूषण स्टील कंपनी से जुड़े मामले केवल कथित टिप्पणी के आरोप के आधार पर स्पेशल जज(पीसी) जगदीश कुमार को पूर्वाग्रह से प्रेरित नहीं माना जा सकता है.
जिला जज ने दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों के आधार पर ट्रांसफर किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को स्पेशल जज(पीसी) जगदीश कुमार की अदालत में वापस से भेज दिया गया है.
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आखिर विवाद क्या है?
अजय मित्तल की पत्नी (जो आरोपी भी है) वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई को देख रही थी. उन्होंने आरोप लगाया कि दिन की सुनवाई के बाद उन्होंने जज को कहते सुना,
"लेने दो डेट, ईडी के मामलों में कौन सी जमानत होती है?"
जिसके आधार पर उन्होंने मामले को दूसरे जज के पास ट्रांसफर करने की मांग की. मामले को ट्रांसफर भी किया गया.