'पाकिस्तान' शब्द का यूज धर्म विशेष के लिए द्वेष फैलाने को लेकर... MCC उल्लंघन मामले में Delhi Court ने कपिल मिश्रा से कहा, राहत देने से भी इंकार
2020 चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता उल्लंघन (Model Code of Conduct-MCC) के मामले में दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा को झटका लगा है. राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कपिल मिश्रा की रिविज़न पेटिशन को खारिज कर दी है .आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में उनके खिलाफ दायर चार्जशीट पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के के फैसले को चुनौती दी थी. इस मामले में कपिल मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान वोट मांगने के लिए साम्प्रदायिक बयान दिए थे. आरोप लगाया गया कि कपिल मिश्रा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कथित रूप से दिए गए विवादास्पद बयानों में कहा कि, दिल्ली में छोटे छोटे पाकिस्तान बनेंगे और शाहीन बाग में पाकिस्तान की एंट्री. इन बयानों के लिए कपिल मिश्रा के खिलाफ जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 (People Representation Act, 1951) की धारा 125 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, जो चुनावों के दौरान वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए है.
पाकिस्तान शब्द का प्रयोग 'द्वेष' के लिए
विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह ने 7 मार्च को राऊज एवेन्यू कोर्ट में मिश्रा की याचिका को खारिज करते हुए समन को रद्द करने से इनकार कर दिया. जज ने मिश्रा के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि उनके बयानों में पाकिस्तान और शाहीन बाग किसी विशेष धार्मिक समुदाय का संदर्भ नहीं देते हैं. जस्टिस ने कहा कि दुर्भाग्यवश, 'पाकिस्तान' शब्द अक्सर एक विशेष धर्म को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है. उन्होंने कहा कि कपिल मिश्रा के इन कथित बयानों में धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है.
अदालत ने चुनावों के दौरान साम्प्रदायिक भाषण देने की प्रवृत्ति की भी निंदा की. जज ने कहा कि यह एक दुखद संकेत है कि भारत में अभी भी 'बांटों और राज करो' की उपनिवेशी प्रथा का पालन किया जा रहा है. अदालत ने यह भी कहा कि धार्मिक विविधताओं को स्वीकार किया जाता है, लेकिन ऐसे नाजुक माहौल में धार्मिक उत्तेजना को आसानी से भड़काया जा सकता है. यह प्रवृत्ति विभाजन की राजनीति और बहिष्करण की राजनीति का परिणाम है, जो देश के लोकतांत्रिक और बहुलवादी ताने-बाने के लिए खतरा है.
Also Read
- पहले से ही न्यायिक हिरासत में है AAP नेता नरेश बाल्यान, अब Delhi Court ने जमानत देने से किया इंकार, जानें वजह
- Delhi Riots 2020: उत्तरदाताओं को चार्जशीट की कॉपी दें Delhi Police, कैसे देना है... Rouse Avenue Court ने ये भी बताया
- आपके खिलाफ Money Laundering का मामला क्यों ना शुरू किया जाए? National Herald Case में राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोनिया-राहुल गांधी से पूछा
कपिल मिश्रा ने बचाव के लिए तर्क किया कि किसी देश के बारे में टिप्पणी करना धारा 125 के तहत अपराध नहीं है. अदालत ने इस तर्क को बेतुका और अवास्तविक बताया. अदालत ने कहा कि इस बयान का निहित संदर्भ एक विशेष धार्मिक समुदाय के लोगों की ओर इशारा करता है, जिससे धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी उत्पन्न होती है.
जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 125
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि धारा 125 के तहत हुए अपराध गंभीर संज्ञेय अपराध होते हैं, और इसमें पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए मजिस्ट्रेट से पहले से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है. जनप्रतिनिधिनियम की धारा 125 में सजा कम-से-कम तीन साल तक की होती है. कोर्ट ने यह भी बताया कि RP अधिनियम की धारा 125 के तहत अपराध संज्ञानात्मक है, जिसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है. विशेष न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक मामले में कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत भी तीन साल की सजा वाले अपराध को संज्ञानात्मक माना था. विशेष कोर्ट ने कहा कि RP अधिनियम की धारा 125 भी संज्ञानात्मक अपराध है, क्योंकि इसकी सजा का समय समान है.
राउज एवेन्यू कोर्ट ने कपिल मिश्रा की समन आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका (Revision Petition) को खारिज कर दिया.
केस टाइटल: कपिल मिश्रा बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली