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फांसी की सजा की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने यासीन मलिक से मांगा जवाब, 10 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

Delhi HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहे अलगाववादी नेता यासीन मलिक को एनआईए की फांसी की मांग वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है.

Written By Satyam Kumar | Published : August 11, 2025 8:05 PM IST

टेरर फंडिंग के मामले में जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को फांसी की सज़ा की मांग वाली एनआईए की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने यासीन मलिक को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी. मई 2022 में निचली अदालत ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सज़ा दी थी.

आज एनआईए की ओर से पेश वकील अक्षय मलिक ने 9 अगस्त 2024 के आदेश का हवाला दिया जिसके मुताबिक यासीन मलिक ने कहा था कि वो इस केस में अपनी पैरवी ख़ुद करेगा. कोर्ट ने सुरक्षा कारणों के मद्देनजर उसे व्यक्तिगत पेशी की बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. हालांकि आज सुनवाई के दौरान यासीन मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश नहीं हुआ. लिहाजा आज कोर्ट ने उसे निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होकर अपनी बात रखें.

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इस मामले में निचली अदालत ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सज़ा दी थी. निचली अदालत में यासीन मलिक ने अपने आरोप को स्वीकार करके ट्रायल का सामाना न करने का विकल्प चुना था. इसके चलते निचली अदालत ने सीधे सज़ा पर बहस सुनी थी. ट्रायल कोर्ट ने उसके खिलाफ मामले को रेयरेस्ट न मानते हुए उम्रकैद की सज़ा दी थी. इसके खिलाफ NIA ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.

सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये बात परेशान करने वाली है कि कोई आंतकी देश में आतंकी वारदातों को अंजाम देता है और फिर इसलिए कि उसने अदालत में गुनाह कबूल कर लिया है, अदालत फांसी के बजाए उम्रकैद की सज़ा दे देती है. इस लिहाज से तो कोई भी दोषी मुकदमे का सामना करने के बजाए आरोपों को कबूलना स्वीकार करेगा. एसजी तुषार मेहता ने कहा था कि यासीन मलिक ने पाकिस्तान जाकर हथियारों की ट्रेनिंग हासिल की. भारत आकर आईएसआई की मदद से वो जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का चीफ बन गया. देश के एक हिस्से को उससे अलग करना उसका मकसद रहा. सरकार ने उसे सुधरने का मौक़ा दिया पर वो सुधरने की आड़ में अपने अलगाववादी एजेंडे में लगा रहा. इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं यासीन मलिक पत्थरबाजी और यह अफवाह फैलाने में शामिल रहा है कि भारतीय सेना आम कश्मीरियों का उत्पीड़न करती है.

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