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पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी के मानहानि मामले में TMC MP साकेत गोखले की मुश्किलें बढ़ी, अब Delhi HC ने वेतन कुर्क करने के दिए आदेश

Lakshmi Puri, TMC MP Saket Gokhale

टीएमसी सांसद साकेत गोखले को गोखले को पहले 50 लाख रुपये का हर्जाना और माफी मांगने का निर्देश दिया गया था, जिसे उन्होंने नहीं माना. जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने उनका वेतन कुर्क करने का आदेश दिया है.

Written By Satyam Kumar | Published : April 24, 2025 7:52 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी द्वारा दायर मानहानि मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता एवं सांसद साकेत गोखले का वेतन कुर्क करने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया है. जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि पहले गोखले को संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव पुरी से माफी मांगने और उन्हें 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया गया था लेकिन उन्होंने न तो जुर्माने की राशि जमा की और न ही कोई उचित स्पष्टीकरण दिया.

Delhi HC ने वेतन कुर्क करने का दिया आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इसी के मद्देनजर प्रतिवादी के वेतन के संबंध में धारा 60 (झ) के तहत कुर्की का वारंट जारी किया जाता है. वेतन 1.90 लाख रुपये बताया गया है. वेतन तब तक कुर्क रहेगा जब तक कि 50 लाख रुपये अदालत में जमा नहीं कर दिए जाते. सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 60 के अनुसार, निर्णय के निष्पादन के मामलों में ऋणी का वेतन पहले एक हजार रुपये और शेष राशि के दो-तिहाई तक कुर्क किया जा सकता है. अदालत ने यह आदेश पुरी की उस याचिका पर सुनवाई करते समय पारित किया जिसमें उन्होंने उनके पक्ष में आदेश का क्रियान्वयन सुनिश्चित किए जाने का अनुरोध किया था. हालांकि गोखले की, अपने खिलाफ दिए गए फैसले को वापस लेने का अनुरोध करने वाली याचिका एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है लेकिन अदालत ने कहा कि मौजूदा कार्यवाही पर कोई रोक नहीं है.

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क्या है मामला?

पुरी ने 2021 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि गोखले ने जिनेवा में उनके स्वामित्व वाले एक अपार्टमेंट को लेकर उनके वित्तीय मामलों के बारे में झूठे आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया था. हाई कोर्ट ने एक जुलाई, 2024 को सुनाए फैसले में गोखले को माफीनामा प्रकाशित करने और 50 लाख रुपये हर्जाने के भुगतान का निर्देश दिया था. इसके अलावा गोखले को पुरी के खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में किसी भी सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मंच पर कोई और सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया गया था.

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