Advertisement

PM Modi की बैचलर डिग्री सार्वजनिक की जाएगी या नहीं? सुनवाई के बाद Delhi HC ने फैसला रखा सुरक्षित

PM Modi degree row

यह मामला तब शुरू हुआ जब नीरज नामक व्यक्ति ने RTI आवेदन दायर किया, जिसमें 1978 में बीए पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड की जांच करने की मांग की, जो उसी वर्ष पीएम मोदी ने अपनी डिग्री पूरी की थी.

Written By Satyam Kumar | Published : February 27, 2025 7:38 PM IST

PM Modi Degree Row: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय की याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा है, जिसमें 2016 के केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को चुनौती दी गई है.  सीआईसी के आदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री की जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था. आज दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाई कोर्ट से कहा कि वह जानकारी एक विश्वास की स्थिति में रखता है और केवल जिज्ञासा के आधार पर निजी जानकारी का खुलासा सार्वजनिक हित के लिए उचित नहीं है. दिल्ली विश्वविद्यालय का जबाव आने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. बता दें कि पीएम डिग्री मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय ने 2016 के केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें CIC का आदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्नातक डिग्री की जानकारी को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था.

अदालत को डिग्री दिखा सकते PM Modi डिग्री

दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ ने पीएम मोदी की डिग्री से जुड़े मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान, CIC ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय सार्वजनिक संस्थान हैं और डिग्री से संबंधित जानकारी एक सार्वजनिक दस्तावेज है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क किया कि CIC का आदेश सार्वजनिक अधिकारियों के कार्यों में बाधा डाल सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि रिकॉर्ड अदालत को दिखाए जा सकते हैं, लेकिन उन्हें उन व्यक्तियों के सामने नहीं लाया जाना चाहिए, जो प्रचार या राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है. साथ ही केंद्र ने तर्क किया कि यदि सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम को याचिकाकर्ता के इच्छानुसार लागू किया गया, तो यह आगे सार्वजनिक प्राधिकारियों के कार्यों में बाधा डालेगा. दिल्ली विश्वविद्यालय ने यह भी कहा कि यह जानकारी एक विश्वास के तहत रखी गई है और केवल जिज्ञासा के आधार पर इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.

Advertisement

दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस सचिन डट्टा की पीठ ने पीएम मोदी की डिग्री के मामले में अब निर्णय सुरक्षित रखा है.

Also Read

More News

कैसे शुरू हुआ मामला?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब नीरज नामक व्यक्ति ने RTI आवेदन दायर किया, जिसमें 1978 में बीए पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड की जांच करने की मांग की, जो उसी वर्ष पीएम मोदी ने अपनी डिग्री पूरी की थी. CIC ने जांच की अनुमति दी, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने 2017 में इस आदेश को स्थगित कर दिया. दिल्ली विश्वविद्यालय ने तर्क किया कि वह जानकारी को विश्वास की क्षमता में रखता है और केवल जिज्ञासा, बिना सार्वजनिक हित के, RTI अधिनियम के तहत निजी जानकारी के प्रकटीकरण को सही नहीं ठहराता. इसके विपरीत, CIC ने कहा कि विश्वविद्यालय सार्वजनिक संस्थान हैं और डिग्री से संबंधित जानकारी एक सार्वजनिक दस्तावेज है.

Advertisement