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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व यूनिटेक प्रमोटर रमेश चंद्र को बड़ी राहत, स्वास्थ्य कारणों से दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दी

Delhi HC, Unitech Group Ramesh Chandra

दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व यूनिटेक समूह के प्रमोटर रमेश चंद्र को धन शोधन मामले में जमानत दी है. पूर्व यूनिटेक समूह के प्रमोटर पर आरोप है कि उन्होंने होमबायर्स को उनके सपनों के घर का वादा किया और निवेशकों को अच्छे रिटर्न का आश्वासन दिया, लेकिन अधिकांश धन का दुरुपयोग किया गया.

Written By Satyam Kumar | Published : March 21, 2025 10:14 PM IST

शुक्रवार यानि कि आज दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व यूनिटेक समूह के प्रमोटर रमेश चंद्र को एक धन शोधन मामले (Money Laundering Case) में जमानत दिया है. 86 वर्षीय रमेश चंद्र कई बीमारियों से ग्रस्त हैं, और उनकी इस हेल्थ कंडीशन को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने यह फैसला लिया है.  इस मनी लॉन्ड्रिंग केस में रमेश चंद्र को 04.10.2021 को गिरफ्तार किया गया था, और उन्हें 08.08.2022 को मेडिकल कंडीशन्स के आधार पर अंतरिम जमानत दी गई थी.

पूर्व यूनिटेक प्रमोटर को जमानत मिली

जस्टिस जसमीत सिंह ने पूर्व यूनिटेक समूह के प्रमोटर रमेश चंद्र को आज एक लाख रुपये का पर्सनल बॉन्ड और समान राशि का एक बेल बॉन्ड जमा करने पर जमानत दिया है. अदालत ने चंद्र पर कुछ शर्तें भी लगाई है. जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा, "मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता पीएमएलए की धारा 45(1) के प्रावधान के तहत 'अशक्त' के दायरे में आता है, और इसलिए, उसे पीएमएलए की धारा 45(1) की दोहरी परीक्षा को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है." अदालत ने मामले की देरी को भी ध्यान में रखा और कहा कि वर्तमान मामला 2018 में दर्ज किया गया था, और जांच पूरी होने के बावजूद अभी तक मामले की सुनवाई शुरू नहीं हुई है.

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जस्टिस सिंह ने आगेकहा, "इस मामले में 17 आरोपी व्यक्ति, 66 कंपनियां, 121 गवाह और 77,812 पन्नों के दस्तावेज हैं, साथ ही लॉर्ज डिजिटल डेटा है जिसे विश्लेषण करने की आवश्यकता है, जिसे देखकर निकट भविष्य में मामले की सुनवाई समाप्त होने की संभावना नहीं है."  हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता 08.08.2022 से चिकित्सा कारणों पर अंतरिम जमानत पर हैं और जमानत पर रहते हुए उनके द्वारा स्वतंत्रता के दुरुपयोग का कोई आरोप नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि उड़ान के जोखिम के संबंध में, याचिकाकर्ता पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

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क्या है मामला?

2006 से 2022 के बीच, दिल्ली पुलिस और सीबीआई द्वारा यूनिटेक समूह के प्रमोटरों रमेश चंद्र, अजय चंद्र और संजय चंद्र और उनके सहयोगियों के खिलाफ 62 एफआईआर दर्ज की गईं, इन एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 34, 201, 406, 409, 120बी और 420 के तहत और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (PC Act) की धारा 7, 7(ए), 8, 9, 10, 12 और 13 के तहत मामले दर्ज किए गए. इन एफआईआर में से अधिकांश शिकायतें होमबायर्स द्वारा की गई थीं, जिन्होंने आरोपियों पर धोखा देने का आरोप लगाया था. आरोप के अनुसार, चंद्र ने होमबायरों को वादा किया था कि उन्हें उनका सपना घर मिलेगा और निवेशकों को उनके निवेश पर अच्छा लाभ मिलेगा. इस वादे से प्रेरित होकर होमबायरों और निवेशकों ने कंपनी में बड़ी मात्रा में निवेश किया.

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इस दौरान, हजारों होमबायरों को कंपनी में आवासीय इकाइयों के लिए अपने जीवन भर की बचत निवेश करने के लिए मनाया गया. हालांकि, यह आरोप लगाया गया कि इन फंडों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गैर-निर्धारित गतिविधियों के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया. इन राशि को म्यूचुअलाइज और मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया गया. 06.06.2018 को धन के अपराधों का पता लगाने और धन शोधन की संभावनाओं की जांच के लिए कई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की गई. अभियोजन शिकायत में याचिकाकर्ता की भूमिका यह थी कि वह कंपनी के मुख्य प्रमोटर और अध्यक्ष थे.

होमबायरों की शिकायतों के आधार पर, याचिकाकर्ता के खिलाफ धोखाधड़ी और ठगी के कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए. वहीं, 2016 में, सर्वोच्च न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया और 20.01.2020 को याचिकाकर्ता को कंपनी से हटाने का आदेश दिया था.